STANDARD GEOLOGICAL TIME SCALE मानक भौगोलिक समय मापक

   


STANDARD GEOLOGICAL TIME SCALE 

मानक भौगोलिक समय मापक 



भूमिका - पृथ्वी के वर्तमान भुगर्भिक इतिहास की गणना उसी समय से की गई है जब पृथ्वी ठोस रूप में बदल गई और चट्टान में जीवाश्मो का मिलना उसकी आयु संबंधी गणना का सर्वप्रमुख आधार है, और उसी पर क्रियाशील शक्तियां का प्रमाण भी । धरातलीय चट्टानों के अध्ययन द्वारा इनके निर्माण काल का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। 
According to scatis geologist James Hatan “Rocks are the pages of the book of earth history / Present is the key of past. 
पृथ्वी की आयु 4500 मिलियन वर्ष पूर्व माना गया है l
ERA AND EPOCH OF STANDARD GEOLOGICAL TIME SCALE- 
कल्प (ERA)- हमारे संपूर्ण भूगर्भिक इतिहास को सर्वप्रथम 5 बड़े भागों में विभाजित किया गया जिन्हें कल की संज्ञा दी गई है 
1.नूतन कल्प  2.सेनोजोइक कल्प  3.मेसोजोइक कल्प  4.पैल्योजोइक कल्प 
5.आद्ध कल्प 
युग ( EPOCH) भूगर्भिक कलानुक्रम सारणी के प्रत्येक कल्प को पुनः व्यवस्थित क्रम प्रदान किया गया, जिन्हें युगों की संज्ञा दी गई। आज से प्रारंभ तक इसका क्रम है – 
1. चतुर्थक युग  2. तृतीय युग   3.द्वितीय युग  4.प्रथम युग 

पृथ्वी के सम्पूर्ण इतिहास का वर्णन निम्नलिखित हैं – 
पूर्व कैमब्रियन या आद्ध कल्प(PRE- CAMBRAIN OR ARCHEAN ERA) 
पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात एक शांत समय की उपस्थिति स्वीकार की जाती है जिसके बारे में विशिष्ट जानकारी का अभाव है। आज से लगभग 1750 मिलियन वर्ष पूर्व 3895 मिलियन वर्ष का प्री कैंब्रियन रहा था, इस कल्प के तीन उपविभाग हैं- 
EOZOIC – अत्यंत प्राचीन काल के इस समय में जीवावशेषो का पूर्णता अभाव पाया जाता है तथा इसके बारे में विशेष जानकारी नहीं प्राप्त होता।ARCHEOZOIC- इस युग की चट्टानों में घास तथा स्पंज की अवशेष पाए जाते हैं जिससे यह जानकारी मिलती है कि पृथ्वी पर जीवन का आरंभ हो रहा था तथा जलवायविक परिवर्तन परिलक्षित होने लगे थे। 
PROTEROZOIC- इस काल में समुद्री जीव अवशेषों की प्राप्ति से यह ज्ञात होता है कि सागरी जीवों का जीवन भी प्रारंभ हो गया था। यह समय 600 मिलियन से 750 मिलियन बरसों के बीच था। 
  
संपूर्ण प्री कैंब्रियन कल्पना में प्राया आग्नेय चट्टान ही पाई जाती हैं, जो कालांतर में कायांतरित एवं अवसादी चट्टानों में परिवर्तित हो गई । इस युग में निर्मित चट्टानों की मोटाई ज्ञात नहीं की जा सकती है यद्यपि इसकी पहचान कर ली गई है इसमें सुपीरियर झील के समीपवर्ती 1.2 लाख धनकिलोमीटर क्षेत्र पर आग्नेय चट्टान का विस्तार हुआ था तथा प्री कैंब्रियन काल के पर्वत तथा चट्टानें (भारत में धारवाड़ चट्टान ए तथा अरावली पर्वत) पाई जाती है यदि इसका कुछ भाग का कायांतरण हो गया है। 
पुराजीवी कल्प (PALAEOZOIC ERA)- 
इस कल्प में प्रारंभिक काल में वनस्पति एवं जीवों का विकास अपेक्षाकृत तीव्र गति से हुआ।इस कल्प के प्रारांभिक काल मे वनस्पति एवं जीवाविशेष मध्यकाल में मछलियों के अवशेष तथा अंतिम काल में रेंगने वाले जीवों के अवशेष पाए जाते हैं। इसके निम्नलिखित उपवर्ग हैं- 
CAMBRIAN- इसका काल 100-600 मिलियन वर्ष रहा। इसमें विशेषता प्रदर्शनों का विस्तार हुआ जो आज भी उसी रूप में विद्यमान है हमारे देश के विंध्याचल पर्वत का निर्माण इसी काल में हुआ है। 
ORDOVICIAN - इसका काल 60 मिलियन बर्ष रहा। 500-430 मिलियन बर्ष पूर्व की अवधि पूर्व की अवधि वाले इस युग के अंत समय में पृथ्वी की पर्वत निर्माणकारी शक्तियों ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया था इस काल के चट्टानों में विशेष रूप से रेंगने वाले जीवों के अवशेष पाए जाते हैं। 
SILURIAN - 440 400 मिलियन वर्ष पूर्व तक इस युग का काल 35 मिलियन वर्ष को अशांत काल कहा जाता है, क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर हलचल (CALIDONYAN OROGENESIS) हुआ था जिसके फलस्वरुप स्केंडिनेविया के पर्वत तथा स्कॉटलैंड के पर्वत आदि चट्टानों का निर्माण हुआ। इस काल में मछलियों का विकास हुआ था इस काल में निर्मित चट्टानों की मोटाई 15000 मीटर है 
DIVONIAN- 400 मिलियन 350 मिलियन वर्ष पूर्व इस युग की अवधि 60 मिलियन बर्ष रहा । पर्वत निर्माणकारी हलचलों के परिणाम स्वरुप विभिन्न पर्वत श्रेणियों एवं चट्टानों का निर्माण होता रहा इस काल में निर्मित चट्टानों की मोटाई 36000 फीट मानी जाती है। 
CARBONIFEROUS - 350- 270 मिलियन बर्ष 60 मिलियन बर्ष के काल का यह युग रहा है। जिसमें कोयले का निर्माण हुआ। वेगनर महोदय ने इसी काल में पैंजिया नामक महाद्वीप के विघटन की बात स्वीकार की। 
PERMIAN- 440 मिलियन बर्ष प्रारंभ हुई कैलिडोनियम पर्वत कारी हलचल इसी काल में भी जारी रही जिसे हर्सिनियन, बर्सिकन हलचल कहा जाता है । इस काल में निर्मित चट्टाने यूरोप (फ्रांस तथा इस स्पेन के पर्वतीय भागों) एवं उत्तरी अमेरिका अप्लेशियन पर्वत क्षेत्र 270 225 मिलियन वर्ष पूर्व तक की अवधि में रेंगने वाले जीवो की अधिकता थी । इसका 50 मिलियन बर्ष तक का अवधी रहा। इस काल में विंध्याचल पर्वत एवं सतपुड़ा की पहाड़ियों का भी निर्माण एवं विकास हुआ। 
MESOZOIC ERA - पिछले कल्पों की अपेक्षा शांत रहे इस काल की अवधि 225 से 65 मिलियन वर्ष पूर्व तक का है। इस में रहने वाले जीव अधिक मात्रा में विद्यमान थे तथा समुद्री भागों में अधिक जमा हुआ। इस कल्प के तीन उपविभाग हैं 
TRIASSIC- इसका समय 40 मिलियन बर्ष रहा । 225 से 180 मिलियन वर्ष पूर्व जिसमें भूगर्भिक इतिहास में जीवो की प्रचुरता का समय है। इस काल में जहां महाद्वीप जुड़े हुए थे वहीं हिमालय, इंडीज, ऑलप्स आदि पर्वत श्रेणियों के स्थान पर विशाल समुद्री जल हिलोरे भरता था। हिमालय के स्थान पर विद्यमान टेथिस सागर में निरंतर मलबों का निक्षेप हो रहा था। पैंजिया का विघटन जारी था। इस वक्त की जलवायु अत्यंत गर्मी थी 
जुरासिक- (जुरासिक) – 35 मिलियन वर्षों वाला इस युग में धरातल पर रहने वाले रीढ़ विहीन जीवों के अधिकता थी इस काल में निर्मित चट्टानों की मोटाई 2000 फीट था । इस युग में हाथी व गैंडे के समान विशालकाय (डायनोसोर) थे। आज से लगभग 180 से 135 मिलियन वर्ष का समय रहा था। 
CRETACEOUS - इस युग का काल 75 मिलियन बर्ष रहा, इस युग में निर्मित चट्टानों में चुने की प्रधानता पाई जाती है तथा लावा का उद्गार प्रसिद्ध घटनाएं है। धरातल की कई हिस्से में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। इस काल में ऐंजिओस्पर्म पौधे का विकास हुआ था इस काल में निर्मित चट्टानों की मोटाई 6400 फिट है 
4.NEOZOIC ERA / TERTIARY ERA- पृथ्वी की भूगर्भिक इतिहास में 70 मिलियन वर्ष पूर्व से 10 लाख वर्ष पूर्व तक का समय टर्सिरी युग के नाम से जाना जाता है- 
EOCENE महान हिमालय 
OLIGOCENE रौकी एंडीज 
MIOCENE लघु हिमालय, 25 मिलियन बर्ष पूर्व 
PLIOCENE चार पैरों वाला जीवो का विकास 
इस युग में अल्पाइन पर्वत निर्माणकारी घटना घटित हुई तथा विभिन्न समुद्रों तथा वृहद भूसन्नतियो (जियोसिन्क्लाइन्स) का मलवा वलित होकर पर्वतों में परिवर्तित भी हो गया। इस युग में पर्वत निर्माणकारी शक्तियां प्रारंभ से अंत तक क्रियाशील रही तथा हिमालय आल्प्स, रॉकी, एंडीज पर्वतमालाओं का विकास भी हुआ इसी युग में धरातल के विभिन्न भागों पर दरारी उद्भेदन के फलस्वरुप लावा का विस्तार हुआ । इस युग के चट्टानों में मछलियां तथा स्तनपाई जीवो के अवशेष की अधिकता पाई जाती है इस दिशा में भी संकेत करती है कि इसका अभी निर्माण किस समय किन परिस्थितियों में हुआ करेगा। 5.QUATERNARY ERA – पृथ्वी का नवीनतम युग है इसकी शुरुआत आज से 2लाख वर्ष पूर्व से मानी जाती है । इस युग में पृथ्वी का 30% हिस्से हिमाच्छादित हुए । मनुष्य वनस्पति एवं पशु पक्षियों का पूर्ण रूप से विकास हुआ । क्वार्टनरीयुग को पुनः दो युगांतर में बांटा गया जा सकता है- 
PLEISTOCENE - इस युग में वानरों का विकास हुआ यह हिम आवरण के लिए प्रसिद्ध है भूपटल के विस्तृत भूपटल पर हिम आवरण के कारण इसे महान हिमकाल भी कहते हैं पृथ्वी पर चार हिम युग आए धरातल पर अनेक हिमानीकृत स्थलाकृतियां बनी इसमें उत्तरी हिमालय में महान झीलें नॉर्वे के फियोर्ड तट, साइबेरिया के दलदल आदि प्रमुख हैं । जलवायु परिवर्तन से जीव जंतुओं का बड़े पैमाने पर स्थानांतरण हुआ। मानव प्रजातियों का विकास इसी युगांतर में हुआ। शिवालिक हिमालय की विकास हुआ। मानव का विकास क्रम जारी रहा शिकार हेतु पत्थर के औजार बनाए गए अपनी जन्म स्थली अफ्रीका महाद्वीप से यह यूरोप तथा एशिया तक पहुंच गए.। 
HOLOCENE – आज से लगभग 10000 वर्ष पहले प्रारंभ हुआ होलोसीन युगांतर वर्तमान में चल रहा है यह 15000 वर्ष तक और रहेंगे। 
REFERENCE BOOK NAME- 
PHYSICAL GEOGRAPHY BY DR. MAMORIA. 
PHYSICAL GEOGRAPHY BY SEVENDRA SINGH. 
ADVANCED GEOGRAPHY OF INDIA BY DR. BANSHAL 
WORLD GEOGRAPHY 
INTERNET WEB 
ADVANCED GEOGRAPHY (NALANDA OPEN UNIVERSITY) 








Susmita Mishra

PATNA, BIHAR