पंचायती राज व्यवस्था : बिहार ( ग्राम पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम, महापौर एवं उपमहापौर, नगर आयुक्त)


 पंचायती राज व्यवस्था : बिहार 

पंचायत हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। यह हमारी गहन सूझ-बुझ के आधार पर व्यवस्था-निर्माण करने की क्षमता की परिचायक है। यह हमारे समाज में स्वाभाविक रूप से समाहित स्वावलम्बन, आत्मनिर्भरता एवं संपूर्ण स्वंतत्रता के प्रति निष्ठा व लगाव का घोतक है।
                  देश में पंचायत राज को सशक्त बनाने, व्यवस्थित विकास की जिम्मेदारी देने तथा लोकोपयोगी बनाने के लिए राष्ट्र तथा राज्य स्तर पर कई कमिटियों का गठन किया गया।इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण बलवंत राय मेहता कमिटी, अशोक मेहता तथा सिंधवी कमिटी हैं। 
                                                            
राष्ट्रीय स्तर पर पंचायती राज्य प्रणाली की विधिवत शुरुआत बलवंत राय मेहता समिति की अनुशंसा ओं के आधार पर 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से हुई थी 1959 में ही आंध्र प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई उसके बाद अन्य राज्यों में पंचायती राज व्यवस्था के स्थापना होने लगी | 

‘‘स्थानीय स्वशासन एक ऐसा शासन है, जो अपने सीमित क्षेत्र में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करता हो।’’

                                भारत एक विशाल जनसंख्या वाला लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र की मूल भूत मान्यता है कि सर्वोच्च शक्ति जनता में होनी चाहिए । सभी  व्यक्ति इस व्यवस्था से प्रत्यक्षत: जुडंकर शासन कार्य से सम्बद्ध हो सकें इस प्रकार का अवसर स्थानीय स्वशासन ब्यवस्था द्वारा संभव हो सकता है। स्थानीय स्वशासन जनता द्वारा शासन स्थानीय स्वशासन कहलाता है। स्थानीय स्वशासन के दो क्षत्रे है। (1) ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र। पंचायती राज ग्रामीण व्यवस्था एवं नगरपालिका नगरीय व्यवस्था को कहा जाता है ।

ग्रामीण स्थानीय स्वशासन 

भारत में प्राचीन काल से ही भिन्न-भिन्न नामों से पंचायती राज व्यवस्था अस्तित्व में रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी जी के प्रभाव से पंचायती राज व्यवस्था पर ज्यादा जोर दिया गया। 1993 में 73 वां संविधान संशोधन करके पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता दी गयी  है।

  1. पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत सबसे निचले स्तर पर ग्राम पंचायत होगी। इसमें एक या एक से अधिक गाँव शामिल किये जा सकते है। 
  2. ग्राम पंचायत कर शाक्तियों के सम्बन्ध में राज्य विधान मंडल द्वारा कानून बनाया जायेगा । जिन राज्यों की जनसंख्या 20लाख से कम है वहॉ दो स्तरीय पंचायत (जिला व ग्राम ) का गठन किय जायेगा  । 
  3. सभी स्तरों की पंचायतो के सभी सदस्यों का चुनाव ‘वयस्क मताधिकार’ के आधार पर पांच वर्ष के लिए किया जायेगा । 
  4. ग्राम स्तर के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्षत: तथा जनपद व जिला स्तर के अध् यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जायेगा । 
  5. पंचायत के सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए उनके सख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जायेगा । 
  6. महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा । 
  7. पांच वर्ष के कार्य काल के पूर्व भी इनका (पंचायतो का) विघटन किया जा सकता है। परन्तु विघटन की दशा में 6 माह के अंतर्गत चुनाव कराना आवश्यकता होगा। 

 ग्राम पंचायत

‘पंचायत’ का शब्दिक अर्थ पाँच पंचो की समिति से है। प्राचीन काल में गाँव के झगड़ों का निपटारा पाँच पंचो की समिति द्वारा किया जाता था। इसी व्यवस्था से पंचायत शब्द का जन्म हुआ। ग्राम पंचायतो का मुख्य उद्देश्य गाँवो की उन्नति करना और ग्राम वासियों का आत्म-निर्भर बनाना है। प्राय: अधिकांश राज्यो के गाँवो में एक ग्राम सभा, ग्राम पंचायत और न्याय पंचायत होती है।

बिहार पंचायती राज अधिनियम 2000 द्वारा ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि बिहार सरकार के आदेश से जिला दंडाधिकारी जिला गजट में अधिसूचना निकाल कर किसी स्थानीय क्षेत्र को जिससे कोई गांव या निकटस्थ  गांव के समूह अथवा किसी गांव के भाग को ग्राम पंचायत घोषित कर सकता है इस क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 7000 के करीब होगीl अधिनियम में जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि वह ग्राम पंचायत में किसी गांव को या उसके विभाग को अलग कर सकता है या उसमें शामिल ही कर सकता है l एक पंचायत क्षेत्र लगभग 500 की आबादी पर वार्डों में विभक्त होता है जिसकी संख्या सामान्यता 15 से 16 तक होती है |

  1. ग्राम सभा गांव के वयस्क नागरिकों को मिलाकर बनायी जाती है। 
  2. ग्राम पंचायत में एक सरपंच, एक उप-संरपच और कुछ पंच होते है ये सभी गा्रम सभा द्वारा चुने प्रतिनिधि होते है। 
  3. न्याय पंचायत का चुनाव सम्बन्धित ग्राम पंचायत करती है। न्याय पंचायत केवल ग्रामीणों के निम्न स्तर के दीवानी और फौजदारी विवादों को सुनती है, न्याय पंचायतों एक निश्चित धन राशि तक जुर्माना वसलू सकती है। किन्तु कारावास की दण्ड नही दे सकती। 

ग्राम पंचायत के कार्य- 

गांव के विकास के लिए बहुत सारे कार्य ग्राम पंचायत के अधीन होते हैं, ग्राम पंचायत इन कार्यों को अपनी जिम्मेदारी से कार्यान्वित करता है| ग्राम पंचायत के कार्य अग्रलिखित हैं-
1- ग्राम पंचायत कृषि संबंधी कार्य की रूपरेखा तैयार करती है और कृषि संबंधी व्यवधानों को अपने स्तर पर ठीक करती है|
2- ग्राम पंचायत गांव के चतुर्मुखी विकास की जिम्मेदारी का निर्वहन करती है|
3- ग्राम पंचायत प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा संबंधी कार्य करती है|
4- युवा कल्याण सम्बंधी कार्यों की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आती है|
5- राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव का कार्य ग्राम पंचायत करती है|
6- ग्रामीण स्तर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बंधी कार्य की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है|
7- ग्राम पंचायत महिला एवं बाल विकास सम्बंधी कार्य को करती है|
8- पशुधन विकास सम्बंधी कार्य
9- समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृत करने व वितरण का कार्य ग्राम पंचायत का होता है|
10- छात्रों को प्राप्त समस्त प्रकार की छात्रवृत्तियों को स्वीकृति करने व वितरण का कार्य ग्राम पंचायत का होता है|
11- राशन की दुकान का आवंटन व निरस्तीकरण ग्राम पंचायत के कार्यों के अंतर्गत आती है|
12- पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कार्य आदि।

ग्राम पंचायत के आय के साधन- 

राज्य व्यवस्थापिका पंचायतों को टैक्स लगाने एवं उनसे प्राप्त धन को व्यय करने का अधिकार देती है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त होता है। इस आय व्यय का जांच करने के लिए वित्त आयोग गठित है जो अपनी रिपार्ट प्रति 5 वर्ष में राज्यपाल को देगा। जिलाधीश को पंचायतों का निरीक्षण एव समय से पवूर् भंग करने का अधिकार दिया गया है।

 ग्राम पंचायत के प्रमुख अंग

ग्राम पंचायत के 4 अंग होते हैं 1.ग्राम सभा 2.मुखिया 3.ग्राम रक्षा/दलपति 4.ग्राम कचहरी
ग्राम सभा ग्राम सभा पंचायत की व्यवस्थापिका सभा हैl ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्क स्त्री पुरुष जो 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैंl ग्राम सभा के सदस्य होंगे ग्राम सभा की बैठक वर्ष भर में कम से कम 4 बार होगी मुखिया ग्राम सभा की बैठक  बुलाएगा और उसकी अध्यक्षता करेगा l

ग्राम रक्षा दल का गठन

सामान्य पहरा, निगरानी एवं आकस्मिक घटनाओं जैसे अगलगी, बाढ़, बांध में दरार, महामारी, चोरी, डकैती आदि का सामना करने,सार्वजनिक शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने तथा सरकार द्वारा समय-समय पर सौंपे गये कार्यों को सम्पादित करने हेतु विहित रीति से एक दलपति की नियुक्ति की जाएगी।

एक दलपति के अधीन प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत एक ''ग्राम रक्षा दल'' का गठन किया जाएगा। ग्राम रक्षा दल में ग्राम के 18 वर्ष से 30 वर्ष तक के शारीरिक रूप से सभी योग्य व्यक्ति सदस्य होंगे। ग्राम रक्षा दल के गठन, कर्तव्य एवं उपयोग के लिए सरकार नियम बनाएगी।

ग्राम कचहरी

प्रति ग्राम पंचायत क्षेत्र में न्यायिक कार्यों को संपन्न करने हेतु 1 ग्राम कचहरी का गठन किया जाता है ग्राम कचहरी का गठन प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है जिसमें एक निर्वाचित सरपंच होता है और निश्चित संख्या में प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित पंच लगभग 500 की आबादी को प्रतिनिधित्व करता हैl ग्राम कचहरी में भी अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित हैl ग्राम पंचायत के तरह ग्राम कचहरी का भी कार्यकाल 5 वर्ष का है यदि ग्राम कचहरी को पहले भी गठित किया जाता है तो पुण: निर्वाचन 6 महीने के अंदर करा लेना पड़ता है l ग्राम कचहरी का प्रधान सरपंच होता है अधिनियम के अनुसार ग्राम कचहरी का सरपंच ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं के बहुमत द्वारा प्रत्यक्ष ढंग से निर्वाचित किया जाएगा निर्वाचन के बाद ग्राम कचहरी अपनी पहली बैठक में निर्वाचित पंच ओं में से बहुमत द्वारा एक उपसरपंच का चुनाव करती है | ग्राम कचहरी का एक सचिव होता है जिसे न्याय मित्र के नाम से जाना जाता है, उसकी नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है | न्याय मित्र सरपंच के कार्य में सहयोग देता है, वहीं न्याय सचिव ग्राम कचहरी के कागजात को रखता है| सरपंच सभी प्रकार के अधिनियम 10000 तक के मामले की सुनवाई कर सकता है |

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में अंतर

1- ग्राम सभा में एक गांव (या गांवों के एक समूह) के सभी वयस्क (18 वर्ष से ऊपर) के सदस्य होते हैं। जबकि ग्राम पंचायत एक छोटी सी संस्था है जिसके सदस्य ग्राम सभा के वयस्कों द्वारा चुने जाते हैं|
2- ग्राम पंचायत का कार्य आम तौर पर 5 वर्ष है, जबकि ग्राम सभा स्थायी निकाय है और इसकी अवधि निर्धारित नहीं है|
3- ग्राम पंचायत ग्राम सभा का कार्यकारी अंग है। ग्राम सभा ग्राम पंचायत के काम का मूल्यांकन करती है और मूल्यांकन करती है।


प्रत्येक प्रखंड के लिए एक पंचायत समिति होती है पंचायत समिति में निम्नलिखित प्रकार के सदस्य होते हैंl

1. निर्वाचित सदस्य प्रखंड को कई निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित होते हैं जो 5000 लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं l अनुसूचित जाति जनजाति तथा पिछड़े वर्गों की जनसंख्या के हिसाब से स्थान सुरक्षित होते हैं l महिलाओं के लिए 50% स्थान आरक्षित हैl 

2पदेन सदस्य निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त ग्राम पंचायत का मुखिया पंचायत समिति का पदेन सदस्य होता है l  इसके अलावा सदस्य के रूप में विधानसभा और लोकसभा के सदस्य होते हैं सभी सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है l पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने में से एक उप प्रमुख निर्वाचित करते हैंl  सामान्यतः प्रखंड विकास पदाधिकारी वीडियो पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी होता है l

पंचायत समिति के कार्य

समिति सभी ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजना पर विचार विमर्श करती है तथा समिति योजना को जिला परिषद में  प्रस्तुत करती है l पंचायत समिति ऐसे कार्यों का संपादन एवं निष्पादन करती है, जो राज्य सरकार तथा या जिला परिषद् इस इस होती है l इसके अतिरिक्त सामुदायिक विकास कार्य एवं प्राकृतिक आपदा के समय राहत का प्रबंध करना भी इनकी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है पंचायत समिति अपना अधिकांश कार्य स्थाई समिति द्वारा करती हैl

 उप प्रमुख पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने में ही से एक को प्रमुख निर्वाचित करते हैं l प्रमुख की अनुपस्थिति में पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता उप प्रमुख ही करता हैl


प्रत्येक जिला में से एक जिला परिषद का गठन किया जाता है संपूर्ण जिला को क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र में बांट दिया जाता है l प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में से एक सदस्य निर्वाचित होता है जो 50000 की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है जिला परिषद का कार्यकाल उसकी प्रथम बैठक की निर्धारित थी से अगले 5 वर्ष तक के लिए निश्चित होता है जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य भी अपने में से एक को अध्यक्ष और एक को उपाध्यक्ष निर्वाचित करते हैंl जिला अधिकारी की श्रेणी का पदाधिकारी जिला परिषद का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होता है, उसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है l 

पंचायतों के निर्वाचन नियमावली तैयार करवाने और पंचायतों के सभी निर्वाचन के संचालन निष्पादन एवं नियंत्रण के लिए निर्वाचन आयोग उत्तरदाई हैl पंचायत के लिए निर्वाचन आयोग की नियुक्ति राज्यपाल करता हैl प्रत्येक 5 वर्ष के अवसर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पूर्वावलोकन करने के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता हैl 

बिहार की नगरीय शासन व्यवस्था 

जो कार्य ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत द्वारा किये जाते है, शहरों में इस प्रकार के कार्य नगरपालिका और नगर निगम या नगर परिषद के द्वारा किये जाते हैl शहरों में स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं का स्वरूप वहां की जनसंख्या के अनुसार किया जाता हैl20,000 से अधिक एवं एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर नगरपालिका, एक लाख से अधिक किन्तु पांच लाख से कम जनसंख्या वाले नगर में नगर परिषद तथा पांच लाख या इससे अधिक जनसंख्या वाले नगर में नगर निगम होता हैl

नगर पंचायत 

बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 पारित कर नगर पंचायतों के गठन की व्यवस्था की गई है इस अधिनियम के अनुसार जिस शहर की जनसंख्या 12000 से 40000 के बीच हो तथा उस शहर के व्यस्त की तीन चौथाई जनसंख्या कृषि से भिन्न कार्यों में लगी हो वहां नगर पंचायत की स्थापना की जाती हैl नगर पंचायत के सदस्य की न्यूनतम संख्या 10 से अधिक और अधिकतम 25 हो सकती है l नगर पंचायत के सदस्यों का निर्वाचन वार्डों के मतदाताओं के द्वारा प्रत्येक जन  से होता है l नगर पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष का है l इसके निर्वाचित सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को निर्वाचित करते हैं l नगर पंचायतों में भी अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़े वर्ग तथा महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है l 
नगर पंचायत के मुख्य कार्य अपने क्षेत्र का आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के लिए योजना तैयार करना 

नगर परिषद 

नगर पंचायत से बड़े शहरों में नगर परिषद का गठन किया जाता है वैसे शहर जिसकी जनसंख्या कम से कम 200000 से 300000 के बीच होती हैl वहां नगर परिषद की स्थापना की जाती है नगर परिषद का गठन व से शहर में की जाती हैl जहां पूरी जनसंख्या का तीन चौथाई भाग अपनी आजीविका के लिए कृषि छोड़े अन्य कार्य में लगे रहते हैं साथ ही इस शहरों में जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 400 व्यक्ति होना चाहिए l

बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के अनुसार नगर परिषद में वार्डों की संख्या 35 से 45 तक हो सकती है प्रत्येक वार्ड में 1 सदस्य चुनकर आते हैं उन्हें वार्ड कमिश्नर भी कहा जाता है l

नगर परिषद के अंग 

1. नगरपर्षद नगर परिषद का एक प्रमुख अभिकरण नगर परिषद होता है इसके सदस्य पार्षद या कमिश्नर कहलाते हैंl इसके सदस्य कम से कम 10 और अधिक से अधिक 40 होती है इसके 80% सदस्य निर्वाचित होते हैं और शेष 20% सदस्य मनोनीत होते हैंl पार्षद का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है राज्य सरकार पूरी परिषद को भंग कर सकती हैl इसके बैठक महीने में एक बार होती है lपार्षद के सदस्य अपने में से एक को अध्यक्ष और एक को उपाध्यक्ष नियुक्त करती है l
2. समितियां नगर परिषद के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए नगर परिषद में कई समितियां होती हैं l समितियां को नगर पार्षद नियुक्त करती हैं जिसमें से 3 से 6 सदस्य होते हैं l
3. अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बिहार के प्रत्येक नगर परिषद की 1 मुख्य पार्षद अध्यक्ष एवं मुख्य पार्षद उपाध्यक्ष होता है l इन दोनों का चुनाव नगर परिषद के सदस्यों द्वारा होता है l नगर परिषद नगर परिषद का प्रधान होता है l 
4. कार्यपालक पदाधिकारी प्रत्येक नगर परिषद में 1 कार्यपालक पदाधिकारी का पद होता हैl  जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा होती है l 
बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के अनुसार वैसे ही नगरों में नगर निगम की स्थापना की जाती हैl जिसकी आबादी कम से कम तीन लाख है भारत के कई नगरों में नगर निगम में बिहार की राजधानी पटना में सबसे पहले 15 अगस्त 1952 को नगर निगम की स्थापना की गई वर्तमान में पटना के अतिरिक्त अन्य नगरों में नगर निगम की स्थापना हो चुकी है l वह हैं गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बिहारशरीफ, आरा बेगूसराय l

निर्वाचन निर्वाचन के उद्देश्य से नगर निगम को कई भागों में बांट दिया जाता है प्रत्येक वार्ड में से एक सदस्य निर्वाचित होकर आते हैं निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है नगर निगम में कम से कम 45 और अधिक से अधिक 75 बार हो सकते हैंl

 


नगर निगम के प्रमुख अंग

1. निगम परिषद समूचे नगर निगम क्षेत्र को विभिन्न भागों में बांटा जाता है जिसे वार्ड हम कह सकते हैं l इस तरह के विभक्त प्रत्येक क्षेत्र में उस क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा एक-एक प्रतिनिधि निर्वाचित होकर आते हैं, उन्हें वार्ड पार्षद या वार्ड काउंसिल्लोर कहते हैं पार्षद का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है l निर्वाचित सदस्यों के अलावा विशेष हितों के प्रति में भी करने वाले समूह जैसे चेंबर ऑफ कॉमर्स व्यापार संघ एवं निबंधित स्नातक के सदस्य भी परिषद के सदस्य हो सकते हैंl  निर्वाचित सदस्यों के द्वारा मनोनीत सदस्य मिलकर कई संयोजित सदस्य का चयन करते हैं l निगम परिषद की बैठक प्रत्येक महीने होते हैं l जिसका मुख्य काम होता है नियम बनाना निर्णय लेना और टैक्स लगानाl 

महापौर एवं उपमहापौर निगम परिषद अपने सदस्यों के बीच एक महापौर एवं उपमहापौर चुनती है l महापौर निगम परिषद का सभापति होता है तथा निगम की बैठक की अध्यक्षता करता है साथ ही सशक्त स्थाई समिति की अध्यक्षता करता हैl महापौर नगर का प्रथम नागरिक माना जाता है इस नाते और नगर में आए अतिथियों का स्वागत नगर की ओर से करता है महापौर की अनुपस्थिति में नगर परिषद के सभी कार्यभार उपमहापौर संपादन करते हैंl

2. सशक्त स्थानीय समिति 
नगर परिषद के सभी प्रमुख के कार्य सशक्त समिति द्वारा की जाती है यह समिति कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति करने की ट्रिक नगर आयुक्त पर नियंत्रण रखती है महापौर एवं उपमहापौर इस समिति के सदस्य होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता महापौर द्वारा की जाती है l
3. परामर्श दात्री समितियां 
नगर निगम के कुछ परामर्श दाई समितियां भी होती हैं जैसे शिक्षा समिति बाजार एवं उद्यान समिति आदि यह समितियां अपने अपने विषय पर निगम परिषद को सलाह देती है l
4. नगर आयुक्त 
नगर निगम के इस पदाधिकारी की नियुक्ति बिहार सरकार द्वारा की जाती है या पराया भारतीय प्रशासनिक सेवा स्तर का पदाधिकारी होता है l नगर आयुक्त नगर निगम का प्रमुख प्रशासक होता है एवं नगर निगम के सभी कर्मचारियों के कार्यों की देखभाल करता है l मगर नगर आयुक्त कुछ कर्मचारियों की भी नियुक्ति कर सकता है l  नगर आयुक्त निगम परिषद एवं सशक्त स्थाई समिति द्वारा किए गए नियमों के अनुरूप कार्य का संपादन करता है l 

नगर निगम के कार्य 
नगर निगम को भी अपने क्षेत्र में ही कार्य करने पड़ते हैं जो नगर परिषद के हैं फिर भी सुविधा के लिए नगर निगम के मुख्य कार्यो की सूची दी जा रही है -

1. सड़क का निर्माण मरम्मत एवं सफाई
2. नालियों का निर्माण मरम्मत एवं सफाई
3. सार्वजनिक स्थानों के कूड़े करकट की सफाई
4. रोशनी का प्रबंध करना
5. पीने का पानी का प्रबंध करना
6. पशुओं की रक्षा करना तथा इसके इलाज की व्यवस्था करना
7. लोगों के स्वास्थ्य एवं इलाज का प्रबंध करना
8. शिक्षा के लिए स्कूलों के स्थापना करना तथा उसका प्रबंधन करना
9. बाजार हाट मेले इत्यादि का प्रबंध करना
10. पुस्तकालयों तथा कला केंद्र की स्थापना करना
11. पार्क फुलवारी आदि का निर्माण और प्रबंधन करना
समाप्त 


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PATNA, BIHAR