
अध्याय 6 : संसाधनप्राकृतिक संसाधन : खनिज संसाधन(Mineral Resources)खनिज संसाधन का अर्थ (Meaning of Mineral
Resources)
सामान्य शब्दों में वे सभी पदार्थ जो खनन (mining) द्वारा प्राप्त किये जाते हैं; खनिज कहलाते हैं, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम एवं धार्विक अयस्क (ores)
।
वैज्ञानिक शब्दावली में खनिज का तात्पर्थ एक ऐसे अजैव (inorganic) पदार्थ से है जो एक विशिष्ट
रासायनिक संपटन (composition) रखता
हो तथा उसके कणों के मिश्रण से शैल रचना होती हो । सामान्यतः सभी खनिज क्रिस्टलीय
या रबेदार (crystalline) होते हैं । कुछ खनिज एक ही
तत्व से निर्मित सामान्य संघटन या संयोजन (composition)
वाले होते हैं, जैसे-
हीरा, कार्बन, आदि; परन्तु अधिकांण खनिज को तत्वों के संघटन वाले होते हैं, जैसे-लोहे और सल्फर आदि के पाइराइट्स (pyrites)
। (प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित
आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते हैं।)
खनिजों के बहुत से गुणधर्म (properties)
होते हैं-क्रिस्टलीय रूप, कठोरता, विशिष्ट घनत्व (specific gravity), रंग, चमकीलापन या चमक (lustier)
और पारद्शिता (Transparency) तथा रेखित (streak), विभगित एवं विदलनी (cleavage)
संरचना, आदि ।
खनिजों के प्रकार
खनिज सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1.धात्विक
खनिज
इन खनिजों में धातु होता
है जैसे लोहा अयस्क तांबा निकिल मैगनीज आदि। पुण: इसे से दो भागों में विभक्त किया जा सकता है
लौह खनिज:
जिन खनिजों में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है हुए लोहयुक्त खनिज कहलाते हैं जैसे
लौह अयस्क मैगनीज, निकेल, टंगस्टन आदि।
2.अधात्विक खनिज
इन खनिजों में धातु नहीं होते हैं। जैसे चूना पत्थर डोलोमाइट अभ्रक
जिप्सम आदि। अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं
कार्बनिक खनिज इसमें जीवाश्म होते हैं। यह पृथ्वी के दबे प्राणी
एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते हैं जैसे कोयला,पेट्रोलियम।
अकार्बनिक खनिज इसमें जीवाश्म नहीं होते हैं जैसे अभ्रक ग्रेफाइट
आदि।
धात्विक और अधात्विक खनिज में अंतर

लौह एवं अलौह धातु में अंतर


खनिज संसाधन का अर्थ (Meaning of Mineral
Resources)
सामान्य शब्दों में वे सभी पदार्थ जो खनन (mining) द्वारा प्राप्त किये जाते हैं; खनिज कहलाते हैं, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम एवं धार्विक अयस्क (ores)
।
वैज्ञानिक शब्दावली में खनिज का तात्पर्थ एक ऐसे अजैव (inorganic) पदार्थ से है जो एक विशिष्ट
रासायनिक संपटन (composition) रखता
हो तथा उसके कणों के मिश्रण से शैल रचना होती हो । सामान्यतः सभी खनिज क्रिस्टलीय
या रबेदार (crystalline) होते हैं । कुछ खनिज एक ही
तत्व से निर्मित सामान्य संघटन या संयोजन (composition)
वाले होते हैं, जैसे-
हीरा, कार्बन, आदि; परन्तु अधिकांण खनिज को तत्वों के संघटन वाले होते हैं, जैसे-लोहे और सल्फर आदि के पाइराइट्स (pyrites)
। (प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित
आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते हैं।)
खनिजों के बहुत से गुणधर्म (properties) होते हैं-क्रिस्टलीय रूप, कठोरता, विशिष्ट घनत्व (specific gravity), रंग, चमकीलापन या चमक (lustier) और पारद्शिता (Transparency) तथा रेखित (streak), विभगित एवं विदलनी (cleavage) संरचना, आदि ।
खनिजों के प्रकार

खनिज सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1.धात्विक
खनिज
इन खनिजों में धातु होता
है जैसे लोहा अयस्क तांबा निकिल मैगनीज आदि। पुण: इसे से दो भागों में विभक्त किया जा सकता है
लौह खनिज:
जिन खनिजों में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है हुए लोहयुक्त खनिज कहलाते हैं जैसे
लौह अयस्क मैगनीज, निकेल, टंगस्टन आदि।
2.अधात्विक खनिज
इन खनिजों में धातु नहीं होते हैं। जैसे चूना पत्थर डोलोमाइट अभ्रक जिप्सम आदि। अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं
कार्बनिक खनिज इसमें जीवाश्म होते हैं। यह पृथ्वी के दबे प्राणी
एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते हैं जैसे कोयला,पेट्रोलियम।
अकार्बनिक खनिज इसमें जीवाश्म नहीं होते हैं जैसे अभ्रक ग्रेफाइट
आदि।
धात्विक और अधात्विक खनिज में अंतर
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लौह एवं अलौह धातु में अंतर

खनिजों की उपलब्धता
सामान्यतः खनिज ‘अयस्कों’ में पाए जाते हैं। किसी भी खनिज में अन्य
अवयवों या तत्वों के मिश्रण या संचयन अयस्क कहलाता है।
खनिज प्रायः निम्न शैल समूहों से प्राप्त होते हैं।
आग्नेय और रूपांतरित
चट्टानों में: इस प्रकार की चट्टानों में खनिजों के
छोटे जमाव शिराओं के रूप में पाये जाते हैं। इन चट्टानों में खनिजों के बड़े जमाव
परत के रूप में पाये जाते हैं। जब खनिज पिघली हुई अवस्था या गैसीय अवस्था में होती
है तो खनिजों का निर्माण आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में होता है। इस अवस्था में
खनिज दरारों से होते हुए भूमि की ऊपरी सतह तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण: टिन, जस्ता, लेड, आदि।
अवसादी चट्टानों में: इस प्रकार की चट्टानों में खनिज परतों में पाये जाते है। उदाहरण:
कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम, पोटाश लवण और सोडियम लवण, आदि।
धरातलीय चट्टानों के अपघटन के द्वारा: जब चट्टानों के घुलनशील अवयवों का अपरदन हो जाता है तो बचे हुए अपशिष्ट में खनिज रह जाता है। बॉक्साइट का निर्माण इसी तरह से होता है।
जलोढ़ जमाव के रूप में: इस तरह से बने हुए खनिज नदी के बहाव द्वारा लाये जाते हैं और जमा होते हैं। ऐसे खनिज रेतीली घाटी की तली में और पहाड़ियों के आधार में पाये जाते हैं। ऐसे में वो खनिज मिलते हैं जिनका अपरदन जल द्वारा नहीं होता है। उदाहरण: सोना, चाँदी, टिन, प्लैटिनम, आदि।
महासागर के जल में: समुद्र में पाये जाने वाले ज्यादातर खनिज इतने विरल होते हैं कि ये आर्थिक महत्व के नहीं होते हैं लेकिन समुद्र के जल से साधारण नमक, मैग्नीशियम और ब्रोमीन निकाला जाता है।
भारत में खनिजों का वितरण
भारत में विभिन्न भागों में निम्नलिखित खनिजों का वितरण क्षेत्र देखने को मिलता है
उत्तर पूर्वी पठार यह देश की सबसे घनी
खनिज पेटी है। जिसमें छोटा नागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी आंध्रप्रदेश का पठार
अवस्थित है इस पट्टी में लौह अयस्क,
मैगनीज, अभ्रक बॉक्साइट चूना पत्थर डोलोमाइट तांबा थोरियम यूरेनियम
क्रोमियम सिलीमेनाइट तथा फास्फेट के विशाल भंडार हैं।
उत्तर पश्चिमी पठार इस पट्टी का विस्तार
खंभात की खाड़ी से लेकर अमरावती अरावली की श्रेणियों तक है यहां अनेक अलौह धातु है
जैसे चांदी सीसा जस्ता तांबा आदि मिलते हैं बालू पत्थर ग्रेनाइट संगमरमर जिप्सम
मुल्तानी मिट्टी डोलोमाइट चूना पत्थर नमक आदि का भी यहां पर्याप्त भंडार है।
दक्षिणी पश्चिमी पठार यह पेटी कर्नाटक के पठार तथा निकटवर्ती तमिलनाडु के पठार तक फैली हुई है यहां लौह अयस्क मैग्नीशियम आक्साइड आदि भारी मात्रा में पाए जाते हैं सभी 3 सोने की खाने इसी पेटी में मौजूद हैं
भारत में लौह अयस्क के वितरण
उड़ीसा झारखंड बेल्ट: उड़ीसा के मयूरभंज और केंदुझर जिले की बादामपहाड़ की खानों में हाई ग्रेड का हेमाटाइट अयस्क मिलता है। झारखंड के सिंहभूम जिले के गुआ और नोआमुंडी की खानों में भी हेमाटाइट अयस्क मिलता है।

भारत में मैगनीज की उपयोगिता तथा वितरण

खनिज का आर्थिक महत्व
खनिजों का संरक्षण

खनन के दुष्प्रभाव
खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहेन वाले लोगों के लिये खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। इन इलाकों में घर और कपड़े ज्यादा जल्दी गंदे हो जाते हैं। खनिकों को सांस की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। खनन वाले क्षेत्रों में सांस की बीमारी के केस अधिक होते हैं।
जिन खनिजों से धातुओं का व्यापारिक उत्पादन या निष्कासन होता है उन्हें 'अयस्क' (ore) कहा जाता है ।
भारत में लगभग 3,000 खानें हैं
देश में लगभग 100 से अधिक खनिजें मिलती हैं।
गोवा से कानपुर के बीच सीधी रेखा खींचने पर इस रेखा के पूर्वी भाग में भारी धात्विक खनिजों की तथा पश्चिमी भाग में अधात्विक खनिजों की प्रधानता मिलती है।
भारत के प्रमुख भूगर्भिक समूह एवं खनिज
1. टर्शियरी समूह-पेट्रोलियम, कोयला 2. गोंडवाना
समूह-कोयला
3. कडप्पा एवं ऊपरी विंध्यन समूह-चूनापत्थर, डोलोमाइट, हीरा, बालूपत्थर, जिप्सम
4. अरावली समूह-ताँबा, जस्ता, सीसा 5. धारवाड़ समूह-लौह-अयस्क एवं मैंगनीज
भारत के प्रमुख खनिज क्षेत्र-
(i) पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र
(ii) पश्चिमोत्तर क्षेत्र (iii)
दक्षिणी क्षेत्र
खनन कार्य को प्रभावित करनेवाले कारक
1. खनिज का बाजार मूल्य
2. खदानों से बाजार की निकटता 3.
भंडार की मात्रा
4. अयस्क की गुणवत्ता 5.
खनन विधि 6. परिवहन सुविधाएँ 7. श्रमिक
भारत में खनिजो की खोज एवं विकास से जुड़े
संगठन
1. भारतीय भूगर्भिक सर्वेक्षण
2. भारतीय खान ब्यूरो 3. भारतीय
खनिज अन्वेषण निगम
4. परमाणु खनिज विभाग 5. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन 6. तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग
कई खदानों में धूल उड़ने पर साँस लेने के बाद सिलकोसिस नामक दमघोंटू बीमारी हो जाती है।
यूरेनियम खादानों में रेडॉन नामक जहरीली गैस निकलती है।
रैट होल खनन विधि मेघालय राज्य में प्रचलित है l
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