अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास 3

 







अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास 


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आर्थिक विकास की माप एवं सूचकांक 

·        भारत में योजना आयोग(Planning commission) का गठन 15 मार्च 1950 को हुआ उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु थे 

·         योजना आयोग के शब्दों मेंआर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है अर्थात 

·         “Economic planning means utilisation of countries resources into different development activities in accordance with National properties” 

·         भारत अभी 12 पंचवर्षीय योजनाओं को पूरी कर चुका है, भारत में पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि 1951 से 1956 के बीच थी तो 12 वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 2012 से 2017 था l 

👉 65 वर्ष पुराने योजना आयोग को नया रूप देते हुए नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांस्फार्मिंग इंडिया (NITI) आयोग के गठन की घोषणा 1 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री के द्वारा किया गया, और फिर योजना आयोग का नाम निति आयोग हो गया l 

·    भारत में नियोजन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना कृषि एवं उद्योगों का आधुनिकरण करना आत्मनिर्भरता को प्राप्त करना सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना। 

राष्ट्रीय आय (national income)

किसी देश में 1 वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तु एवं सेवा कर मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं. 

प्रति व्यक्ति आय (per capita income ) 

देश की कुल आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भाग फल प्राप्त होता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। वर्तमान समय में भारत का प्रति व्यक्ति आय  12000 (लगभग) है। 

 

प्रति व्यक्ति आय =     राष्ट्रीय आय   

                     कुल जनसंख्या 


विश्व बैंक के अनुसार  के विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार जिन देशों की 2017 में प्रति व्यक्ति आय 887356.56 रुपए प्रति वर्ष या इससे अधिक है वह विकसित राष्ट्र है l  वह देश जिन की प्रति व्यक्ति आय 73234.89 रुपए प्रति प्रतिवर्ष या इससे कम है इसे निम्न आय वाला देश कहते हैं (पंजाब की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक और बिहार की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है) 

 


मानव विकास सूचकांक  

(Human Development Index) 

मानव विकास सूचकांक विकास का माप है वह किसी देश की तुलना लोगों के शैक्षणिक स्तर उसकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है 

मानव विकास सूचकांक तीन सूचकांकों पर आधारित है 

1.प्रति व्यक्ति आय 

2. जीवन प्रत्याशा  

3. शिक्षा विशेषकर महिला शिक्षा 

- प्रति व्यक्ति आय की गणना सभी देशों के लिए डॉलर में की जाती है 

- एचडीआर 2009 के अनुसार HD आई के मूल्य के आधार पर देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जाता है 

    

1.निम्न देश 0 0.499 

2. मध्यदेश – 0.500–0.799 

3. उच्च देश0.800–0.899 

4. बहुत उच्च देश 0.900 – above 

2011 के लिए विभिन्न देशों के एचडीआई मूल्य 

नार्वे        1 

ऑस्ट्रेलिया   2 

श्रीलंका      97 

चीन.       101 

भारत.      134 

कांगो.      137 

पाकिस्तान.  145 

 

आधारिक संरचना infrastructure  

आधारिक संरचना का मतलब ऑन सुविधाएं एवं सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं वह सभी तत्व जैसे बिजली परिवहन संचार बैंकिंग स्कूल कॉलेज अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार हैं उन्हें देश का आधारिक संरचना को कहा जाता है किसी देश के आर्थिक विकास में आधारिक संरचना का महत्वपूर्ण स्थान होता है जिस देश का आधारभूत संरचना जितना अधिक विकसित होगा वह देश उतना ही अधिक विकसित होगा। 

 
बिहार में विकास की स्थिति 

बिहार का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था महावीर का शांति संदेश यही दिया गया चंद्रगुप्त अशोक शेरशाह सूरी गुरु गोविंद सिंह बाबू वीर कुंवर सिंह देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म इसी बिहार में हुआ है बिहार का इतिहास काफी गौरव पूर्ण रहा है फिर भी आज कई तरह की समस्याओं का सामना बिहार कर रहा है 

बिहार के पिछड़ेपन का कारण 

आर्थिक दृष्टि से बिहार के पिछड़ेपन के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं 

* बढ़ती हुई जनसंख्या 

* आधारभूत संरचना का अभाव 

* कृषि पर निर्भरता 

* बाढ़ तथा सूखा से क्षति 

* औद्योगिक पिछड़ाप 

* गरीबी 

* खराब विधि व्यवस्था 

* कुशल प्रशासन का अभाव 

बिहार के पिछड़ापन को दूर करने के उपाय 

पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि बिहार के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं। बिहार देश का एक बड़ा राज्य है और इसके विकास के गति में तेजी आने से भारत का विकास भी संभव होगा । बिहार के पिछड़ापन दूर् करने के लिए निम्नलिखित् उपाय किए जा सकते हैं 

·                    जनसंख्या पर नियंत्रण 

·                     कृषि का तेजी से विकास 

·                     बाढ़ पर नियंत्रण 

·                     आधारिक संरचना का विकास 

·                     उद्योगों का विकास 

·                     गरीबी दूर करना 

·                     शांति व्यवस्था की स्थापना 

·                     स्वस्थ तथा ईमानदार प्रशासन 

·                     केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों                       का हस्तानांतरण 

·                     15 नवंबर 2000 को बिहार झारखंड                        से अलग हो गया 

कृषि यंत्र उद्योग 

ऐसे उद्योग जब कृषि पर आश्रित होते हैं अथवा जिन-जिन के उत्पादन में कृषि क्षेत्र से कच्चा माल आता है उसे कृषि जगत उद्योग कहते हैं उदाहरण के लिए उनसे अचार बनाना, टमाटर से टमाटर सॉस बनता है। 

 

देश की आर्थिक विकास में बिहार की भूमिका  (संक्षिप्त परिचय)

(Role of Bihar in economic development of the country) 

बिहार की अर्थव्यवस्था वर्तमान स्वरूप कोई एक दिन की संरचना नहीं है l बिहार का इतिहास इतिहास अत्यंत प्राचीन है तथा इसमें सदियों से देश के सामाजिक राजनीतिक तथा आर्थिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है l ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में स्थापित मौर्य सम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित पहली देशव्यापी शासन प्रणाली थी जिसकी राजधानी वर्तमान पटना के निकट पाटलिपुत्र में स्थित था। इसी काल में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री कौटिल्य की पुस्तक अर्थशास्त्र की भी रचना हुई । जिन्हें हम चाणक्य के नाम से जानते हैं कि पुस्तक राजनीतिक तथा आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित एक महान कृति है ज्ञान एवं विज्ञान के प्रसार में भी बिहार का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण हैl विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पटना के निकट नालंदा में हुई थी जो विश्व के प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय में था इस विश्वविद्यालय में 10,000 से अधिक छात्र और 2000 से अधिक शिक्षक थे। तथा इसमें केवल देश के ही नहीं वरन कोरिया चीन जापान आदि देशो के छात्र एवं विद्वान शिक्षा ग्रहण करते थे। बिहार कितने देश के विभिन्न विभागों को जोड़ने का भी कार्य किया है। सासाराम बिहार के सम्राट शेरशाह सूरी ने सड़क ए आजम (महान सड़क )के नाम से देश का एक वृहद सड़क प्रणाली का निर्माण किया जो आज ग्रैंड ट्रंक रोड' के नाम से जाना जाता है। 

*संसाधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति देनी है आज बिहार पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता है इसके अनेक कारण हर एक साल बाढ़ और सुखाड़ का प्रयोग इस राज्य को झेलना पड़ता है 

                                                                                                             आर्थिक विकास की गति को तेज करके बिहार की स्थिति में सुधार किया जा सकता है पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने ठीक ही कहा था कि बिहार के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं है। 

                                                                               बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग केंद्र सरकार से की जा रही थी, लेकिन अभी यह मांग ठंडे बसते में रख दिया गया है l यदि केंद्र सरकार बिहार वासियों की यह  मांग लेती, तो बिहार विशेष आर्थिक पैकेज मिल सकता था, इस विशेष आर्थिक सहायता से बिहार अपनी स्थिति में सुधार करना आर्थिक विकास कर सकता था l  परंतु बिहार को विशेष राज्य के दर्जा देने के क्षेत्र में केंद्र सरकार के समक्ष आने के व्यवहारिक तथा प्रशासनिक समस्याएं है ऐसा कहा जाता है l  

नरेगा (N R E G A)

ग्रामीण रोजगार देने की या राष्ट्रीय योजना है इसके अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को साल में कम से कम 100 दिन के लिए रोजगार देने की व्यवस्था है इसके लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है। 

1.   ग्रामीण रोजगार देने की यह स्कीम विश्व का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला इस्कीम माना  जाता है। 


2.   “N R E G A” National Rural Employment Guarantee Act  August 25, 2005.


गरीबी रेखा (poverty line) गरीबी को निर्धारित करने के लिए योजना आयोग द्वारा सीमांकन किया गया है l गरीबी रेखा कैलोरी मापदंड पर आधारित है ग्रामीण क्षेत्र में 24 सौ तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन निर्धारित किया गया है अर्थशास्त्र में गरीबी की माप की या काल्पनिक रेखा है। इस रेखा के नीचे के लोगों को गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है इसे संक्षेप में BPL (below poverty line) भी कहा जाता है I


समाप्त 

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मुख्य साखा - S.A. CLASSES, मोहनपुर ,पुनाईचक, पटना २३ (बिहार)

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