अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास 2 ( वर्ग दशम के लिए )

 




अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास

PART-1

समावेशी विकास 

आर्थिक विकास की जिस पद्धति या प्रक्रिया से समाज के सभी वर्गों का जीवन स्तर ऊंचा होता जाए तथा समाज के कोई भी वर्ग विकास के लाभ से अछूता ना रहे तो ऐसे विकास की प्रक्रिया को समावेशी विकास कहते हैं  

सतत विकास 

सतत विकास का शाब्दिक अर्थ है ऐसा विकास जो जारी रह सके बिकाऊ बना रहे सके । सतत विकास में ना केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को भी ध्यान में रखा जाता है  

 

आर्थिक नियोजन का अर्थ 

आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधन का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है l

Economics planning means utilisation of countries resources into different development activities in accordance with national priorities. 


मुख्य विंदु :-

   भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को किया गया था l

   योजना आयोग का अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है l

   भारत में प्रथम पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 के बीच लागू की गई l

    भारत में अभी वर्तमान में 12वीं पंचवर्षीय योजना चल रही हैl 

मौद्रिक विकास 

मौद्रिक विकास का तात्पर्य मुद्रा के विकास से है। वर्तमान समय में आज मनुष्य के पास अनेक प्रकार की सुख सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन यदि हम पीछे की इतिहास को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि विगत वर्षों में इन सुख-सुविधाओं की वस्तुओं को उपलब्ध कराने के लिए मनुष्य को कठिन परिश्रम करना पड़ा है जब मुद्रा का विकास नहीं हुआ था तो लोग वस्तु से वस्तु का लेन-देन करते थे जिसे हम वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं यह अर्थव्यवस्था  आर्थिक विकास की प्रारंभिक अवस्था थी क्योंकि उस समय मनुष्य की संख्या तथा आवश्यकता दोनों कम थी इसलिए वस्तु के लेन देन में से उसकी आवश्यकता की पूर्ति हो जाया करती थी लेकिन जितना समय आगे बढ़ता गया मनुष्य की आवश्यकताएं भी बढ़ने लगी जहां उनकी जनसंख्या छोटे से कस्बे से बढ़कर गाय एवं क्षेत्र के रूप में फैल गया ऐसी स्थिति में मनुष्य की सोच के आधार पर विनिमय का एक सामान्य इकाई मुद्रा का जन्म हुआ। 

मुद्रा के जन्म के समय ऐसी की के रूप में सामने आया और फिर इसका स्वरूप बदलता चला गया हम मौद्रिक विकास के संक्षिप्त कहानी पर एक नजर डालते हैं -

वस्तु विनिमय प्रणाली – वस्तु से वस्तु का लेन-देन l

मौद्रिक प्रणाली मुद्रा से वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय। 

बैंकिंग प्रणाली – बैंक के माध्यम से चेक के द्वारा विनिमय की क्रिया का संपादन l 

कोर बैंकिंग प्रणाली–  के अंतर्गत एक संकेत से एक व्यक्ति के खाते से दूर अवस्थित दूसरे व्यक्ति को उसी बैंक के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर कर सकता है l

एटीएम – प्लास्टिक के एक छोटे से कार्ड पर अंकित सूक्ष्म अंक संकेत के आधार पर कहीं भी तथा किसी भी समय निर्धारित बैंक के केंद्र से पैसा निकालने की सुविधा l

डेबिट कार्ड– बैंक के द्वारा दिया गया प्लास्टिक का कार्ड जिसके द्वारा बैंक में अपनी जमा राशि के पैसे का उपयोग करना l

क्रेडिट कार्ड – बैंक द्वारा जारी किया गया प्लास्टिक का एक का जिसके आधार पर उसके धारक द्वारा पैसे एवं वस्तु प्राप्त कर लेना। 


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PATNA, BIHAR