मुद्रा , बचत एवं साख अध्याय 3



मुद्रा , बचत एवं साख 
अध्याय 3

 
भूमिका

समाज में विनिमय एवं मुद्रा का विकास सभ्यता के विकास से संबंधित है आदिकाल से मनुष्य की आवश्यकता बहुत कम थी उसकी पूर्ति वह स्वयं कर लेता था ऐसी स्थिति में मुद्रा की आवश्यकता नहीं था l मनुष्य स्वावलंबी था लेकिन सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य की आवश्यकताएं बढ़ती चली गई और विनिमय की जरूरत पड़ने लगी अब वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने आप को असमर्थ होने लगा, इस प्रकार मनुष्य की आवश्यकताओं में वृद्धि के कारण विनिमय का जन्म हुआl 
आज के युग में मुद्रा की भूमिका काफी बढ़ गई है आज का समस्त आर्थिक ढांचा मुद्रा पर निर्भर है तो हम कह सकते हैं कि आधुनिक युग के प्रगति का श्रेय मुद्रा को ही जाता है l(If money is not the heart of your economic system it can certainly be considered its blood stream.) 

विनिमय के दो रूप है (forms of exchange)

1.वस्तु विनिमय प्रणाली ( barter system)
2.तथा मौद्रिक विनिमय प्रणाली(monetary system)

1.   वस्तु विनिमय प्रणाली 
वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का आदान प्रदान होता हैl  दूसरे शब्दों में किसी एक वस्तु का किसी दूसरे वस्तु के साथ बिना मुद्रा के प्रत्यक्ष रुप से लेनदेन वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाता है l

उदाहरण के लिए गेहूं से चावल बदलना सब्जी से तेल बदलना दूध से दही बदलना आदि l यह प्रणाली पुराने जमाने में प्रचलित थी व्यवहारिक रुप से इस प्रणाली में लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है l 

वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयां difficulties of barter system 

-वस्तु विनिमय प्रणाली मे मनुष्य को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था 

· आवश्यकता के दोहरी संयोग का अभाव 
· मूल्य के सामान्य मापक का अभाव 
· मूल्य संचय का अभाव 
· सह विभाजन का अभाव 
· भविष्य के भुगतान की कठिनाई 
· मूल्य हस्तांतरण की समस्या

2. मौद्रिक विनिमय प्रणाली 

वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों के कारण मनुष्य के द्वारा ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता हुई जो बाजार व्यवस्था में लाने के क्रम में ऐसी कठिनाइयों का समाधान दे सकें इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने के लिए मुद्रा का आविष्कार किया गया या फिर कह सकते हैं कि वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों ने ही मुद्रा को जन्म दिया l और मुद्रा के आविष्कार मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है l

मुद्रा क्या है 



मुद्रा की परिभाषा सर्वसम्मत देना कठिन है विभिन्न अर्थशास्त्रियों के द्वारा अलग अलग परिभाषा दी गई है l साधारण बोलचाल की भाषा में मुद्रा का अर्थ धातु के बने सिक्के को समझा जाता है मुद्रा शब्द का प्रयोग मोहर या चीन के अर्थ में भी किया जाता है यह कारण है कि जिस वस्तु पर सरकारी चिन्हों के अर्थ में लगाया जाता था उसे मुद्रा कहा जाता था l अर्थशास्त्रियों में मुद्रा की अनेक परिभाषा दी है कुछ परिभाषाएं संकुचित हैं कुछ विस्तृत है तथा कुछ परिभाषाएं अन्य बातों पर निर्धारित है प्रोफैसर हॉट लिरिक्स ने बताया कि मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है l  नेप (जर्मनी) के अनुसार कोई भी वस्तु जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित
की जाती है मुद्रा कहलाते हैं l


वस्तु विनिमय  वस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत किसी वस्तु या

सेवा का विनमय  किसी अन्य वस्तु या सेवा के साथ प्रत्यक्ष रुप से

किया जाता है l 


वस्तु मुद्रा 
प्रारंभिक काल में किसी एक वस्तु को मुद्रा के कार्य संपन्न करने के लिए चुन लिया गया था जैसे शिकारी युग में खाल या चमड़ा, कृषि युग में कोई अनाज जैसे कपास गेहूं आदि को मुद्रा का कार्य संपन्न करने के लिए चुना गया ।
Metallic money वस्तु मुद्रा द्वारा विनिमय में करने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था तब धातु का प्रयोग मुद्रा के रूप में होने लगा मुद्रा जो पीतल और तांबे इत्यादि से बना होता है उसे metallic money कहते है 
सिक्के धातु मुद्रा के प्रयोग में भी धीरे-धीरे कठिनाइयां आने लगी इंन कठिनाइयों को दूर करने के लिए सिक्के का प्रयोग किया जाने लगा। 
सोने चांदी दि से बना वह वस्तु जो देश की सार्वभौम सरकार की मोहर से प्रचलित होता है उसे सिक्का कहते  हैं 

पत्र मुद्रा 

सिक्का मुद्रा के कुछ दोष के कारण पत्र मुद्रा प्रचलन में आया क्योंकि सिक्का मुद्रा कोई जगह से दूसरी जगह ले जाने में कठिनाई होती थी। इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए वर्तमान समय में विश्व के तमाम देश में पद मुद्रा का प्रचलन है l 

देश की सरकार तथा केंद्रीय बैंक द्वारा जो कागज का नोट प्रचलित किया जाता है उसे पत्र मुद्रा कहते हैं यह कागज का बना होता है इसलिए इसे कगजी मुद्रा भी कहा जाता है 

बर्तमान समय में केंद्र सरकार एक रुपया का नॉट जारी करती हैl इससे अधिक सभी नोट देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा चलाई जाते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 2 5 10 20 50 100 200 500 और 2000 का नोट जारी करती है ।


साख मुद्रा 

साख पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ कहा जाता है। साख पर्यायवाची शब्द क्रेडिट है, इसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के क्रेडो शब्द से हुई है जिसका अर्थ है विश्वास करना । इस प्रकार साख का संबंध विश्वास तथा भरोसे से से है परंतु साख शब्द का व्यापक अर्थ है आर्थिक शब्दावली में हम किसी व्यक्ति या संस्था की साख का उल्लेख करते हैं तब इससे उनकी ईमानदारी तथा ऋण लौटाने की क्षमता का बोध होता है जिस व्यक्ति को अधिक आसानी से उधार मिल जाता है हम कहते हैं कि उसका साख अधिक है l 

प्लास्टिक मुद्रा (plastic money) 

ATM सह डेबिट कार्ड - ATM का अर्थ है स्वचालित टेलर मशीन (ऑटोमेटिक टेलर मशीन) यह मशीन 24 घंटे रुपए निकालने तथा जमा करने की सेवा प्रदान कराता है। भारत के सभी बड़े-बड़े व्यवसाई बैंक जैसे स्टेट बैंक इलाहाबाद बैंक ICICI Bank, बंधन बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, केनरा बैंक,‌ पंजाब नेशनल बैंक आदि द्वारा यह सुविधा अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाती है। 

क्रेडिट कार्ड क्रेडिट कार्ड भी प्लास्टिक मुद्रा का एक रुप है । विश्व में प्रचलित कार्डों में वीजा मास्टरककार्ड , अमेरिकनन एक्सप्रेस आदि प्रसिद्ध है। क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत ग्राहक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए बैंक उसकी साख की एक राशि निर्धारित कर देती है जिसके अंतर्गत वह अपने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से निर्धारित धनराशि के अंदर वस्तुओं और सेवाओं को खरीद सकता है 

मुद्रा का आर्थिक महत्व 
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था या समाजवादी अर्थव्यवस्था यह मिश्रित अर्थव्यवस्था सभी में मुद्रा आर्थिक विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है l क्योंकि यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं तो रक्त स्रोत तो अवश्य है 
मुद्रा के लाभ 
मुद्रा हमारे लिए काफी लाभदायक है मुद्रा से पूरे मानव समाज को लाभ पहुंचता है अर्थशास्त्र की सभी शाखा जैसे उपभोक्ता उत्पादन विनिमय वितरण तथा राजस्व मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान है मुद्रा के कुछ कार्य तथा लाभ निम्नलिखित है 

1. मुद्रा से उपभोक्ता को लाभ- प्रत्येक उपभोक्ता मुद्रा से अपनी इच्छा अनुसार वस्तुओं को खरीद सकता है 
2. मुद्रा से उत्पादक को लाभ – मुद्रा की सहायता से उत्पादन के साधनों की आवश्यक मात्रा जुटाने कच्चे माल को खरीदने तथा संचित रखने तथा समय समय पर पूंजी की आधार प्राप्त करने में सहायता मिलती है 
3. मुद्रा और साख – मुद्रा ने साख प्रणाली को संभव बनाया है 
4. वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों का निराकरण 
5. मुद्रा और पूंजी की तरलता – मुद्रा में पूंजी की तरलता प्रदान की है क्योंकि इसको प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार कर लेता है l 
6. मुद्रा और पूंजी की गतिशीलता 
7. मुद्रा और पूंजी निर्माण – मुद्रा तरल संपत्ति है इसे बैंक में जमा कर सुरक्षित रखा जा सकता है और ब्याज भी प्राप्त किया जा सकता है l 
8.मुद्रा और बड़े पैमाने के उद्योग – मुद्रा के होने से आज बड़े बड़े उद्योग स्थापित हो सके हैं तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हो सका है l 
9.मुद्रा और आर्थिक प्रगति- मुद्रा किसी देश की आर्थिक प्रगति का सूचक है 
10. मुद्रा और सामाजिक कल्याण – मुद्रा द्वारा किसी देश की राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय की माप होती है यदि प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो देश की आर्थिक कल्याण की ओर अग्रसर होता है मुद्रा द्वारा सामाजिक कल्याण को मापा जा सकता है 

बचत 

प्रत्येक व्यक्ति या परिवार को तो कुछ आय होती है इस आय के दो उपयोग हो सकते हैं प्राय: एक बड़ा उपभोग पर खर्च होता है और शेष बचा लिया जाता है उपभोग्य वस्तुओं और सेवाओं पर किया जाने वाला वह है इस वजह से मनुष्य के वर्तमान आवश्यकता की संतुष्टि होती है बचत आय का वह भाग्य है जिसका वर्तमान में उपयोग नहीं किया जाता है उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति का मानसिक आय ₹10000 है जिसमें सेवा ₹8000 उपभोग व्यय करता है तो उसे ₹2000 उसकी बचत है। 

दूसरे शब्दों में, किसी देश के आर्थिक जीवन में बचत का विशेष महत्व है बचत द्वारा पूंजी का निर्माण होता है जिसका उद्योग व्यापार तथा अर्थव्यवस्था के अन्य उत्पादक क्रियाकलापों में निवेश किया जाता है 

कुल आय - उपभोग व्यय = आय 

आय तथा उपभोग का अंतर बचत कहलाता है 

बचत दो प्रकार का होता है नगद बचत एवं वस्तु संचय 

किसी व्यक्ति की बचत उसकी आय का वह भाग है जहां उपभोग की वस्तुओं पर व्यय नहीं की जाती है (क्राउथर के अनुसार) 

साख क्या है 
प्रो० जीड के अनुसार साख एक ऐसा विनिमय कार्य है जो एक निश्चित अवधि के बाद भुगतान करने के बाद पूरा हो जाता है 

साख का अर्थ है विश्वास या भरोसा अर्थशास्त्र में साख का मतलब ऋण लौटा ने का भुगतान करने की क्षमता में विश्वास से होती है यदि हम कहें कि आप की साख बाजार में अधिक है तो इसका मतलब है आप ऋण लौटाने की स्थिति में लोगों को अधिक विश्वास है इस विश्वास के आधार पर एक व्यक्ति या संस्था दूसरे व्यक्ति या संस्था को उधार देता है l 

साख में दो पक्ष होते हैं ऋण दाता तथा ऋणी (ऋण दाता ऋणी को कुछ वस्तुएं तथा धन उधार देता है जिसका तत्कालीन भुगतान उसे प्राप्त नहीं होता यह काम विश्वास के आधार पर होता है कुछ समय बाद ऋणी द्वारा उधार लिए गए वस्तुओं तथा रूपए का भुगतान कर दिया जाता है घर अगर ऋणी उधार लिए गए वस्तुओं तथा रुपए का भुगतान नहीं करता है तो उसके साख में हास होता है) 

साख का आधार 
साख का मुख्य आधार निम्न है 
विश्वास –सांख का मुख्य आधार विश्वास है साख देने वाला या ऋणदाता उधार देने को तभी तैयार होता है जब उसे विश्वास होता है की ऋणी समय पर रुपए लौटा देगा 

चरित्र - ऋणी का चरित्र भी उसकी सा का एक महत्वपूर्ण आधार होता है ऋण चरित्रवान तथा ईमानदार है तो उसे ऋण मिलने में दिक्कत नहीं होती दूसरी ओर चरित्रहीन व्यक्तियों की साख कम होती है और कोई उसे ऋण देने के लिए तैयार नहीं होता। 

चुकाने की क्षमता ऋणदाता किसी व्यक्ति को उधार तब देता है जब उसे उस व्यक्ति के भुगतान की क्षमता पर पूरा विश्वास हो । इस तरह किसी व्यक्ति की साख उस व्यक्ति के भुगतान करने की क्षमता पर निर्भर करती है 

पूंजी एवं संपत्ति – ऋण दाता पूंजी तथा संपत्ति की जमानत के आधार पर ऋण देता है क्योंकि जिस व्यक्ति के पास जितनी अधिक पूंजी तथा संपत्ति होगी उसे उतना ही अधिक ऋण मिल सकेगा 

ऋण की अवधि- ऋण की अवधि का प्रभाव साख पर पड़ता है ऋण दाता दीर्घकालीन ऋण देने से घबराते हैं क्योंकि उन्हें संदेश आता है कि दीर्घकाल मे ऋणी की क्षमता चरित्र और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो जाए। 
साख पत्र 
साख पत्र से हमारा तात्पर्य उन साधनों से है जिनका उपयोग साख मुद्रा के रूप में किया जाता है साख पत्र के आधार पर ऋण आदान-प्रदान होता है यह वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय विक्रय में वस्तु के माध्यम का कार्य करते हैं अतः साख पत्र ठीक मुद्रा की तरह कार्य करते हैं लेकिन मुद्रा एवं साख पत्र में एक प्रमुख अंतर यह है कि मुद्रा कानूनी ग्रहृ होते हैं जबकि साख पत्र की कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं रहता है 

साख पत्र कई प्रकार के होते हैं a. चेक b. विनिमय बिल c. बैंक ड्राफ्ट d.हुंडी. e. प्रतिज्ञापत्र f. यात्री चेक g. पुस्तकीय साख तथा h. साख प्रमाण पत्र 

चेक - चेक सबसे अधिक प्रचलित साख पत्र है चेक एक प्रकार की लिखित आदेश है जो बैंक में रुपया जमा करने वाला अपने बैंक को देता है उसमें लिखित रकम उसे लिखित व्यक्ति को दे दी जाए। 

बैंक ड्राफ्ट – बैंक ड्राफ्ट वह पत्र है जो एक बैंक अपनी किसी शाखा या अन्य किसी बैंक को आदेश देता है कि उस पत्र में लिखी हुई रकम उसमें अंकित व्यक्ति को दे दी जाए बैंक ड्राफ्ट के द्वारा आसानी से कम खर्च में ही रुपया एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है बैंक ड्राफ्ट देसी तथा विदेशी दोनों ही प्रकार का होता है। 

यात्री चेक - यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री चेक बैंकों के द्वारा जारी किया जाता है। कोई भी यात्री बैंक में निश्चित रकम जमा कर देने पर यात्री चेक प्राप्त कर सकता है या यात्री चेक पत्र पर एक निश्चित रकम छपी रहती है यात्री बैंक की किसी भी शाखा से यात्री चेक प्रस्तुत कर मुद्रा प्राप्त कर सकता है इस चेक पर यात्री के हस्ताक्षर के नमूने भी अंत अंकित रहते हैं इसके चलते कोई दूसरा व्यक्ति रुपया नहीं प्राप्त कर सकता है 
प्रतिज्ञा पत्र - यह भी एक प्रकार का साख पत्र होता है इस पत्र में ऋणी की मांग पर एक निश्चित अवधि के बाद उसमें अंकित रकम ब्याज सहित देने का वादा किया जाता है 
समाप्त

i'msonuamit

PATNA, BIHAR