राज्य एवं राष्ट्र की आय (अध्याय 2)


राज्य एवं राष्ट्र की  आय 
अध्याय 2 

आय (Income) 

लोगों को अपने परिश्रम के फलस्वरूप जो धन अथवा वस्तु प्राप्त होती है, उसे उनकी आय कहते हैं। लोगों की आय के द्वारा देश के आर्थिक विकास की स्थिति का आकलन किया जता है।

राष्ट्रीय आय (National Income)

देश के लोगों को प्राप्त होने वाली आयों का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है। चाहे वे देश में प्राप्त किए हों या विदेशों में जाकर प्राप्त किए हों। किसी भी देश का आर्थिक विकास उसकी राष्ट्रीय आय पर निर्भर होता है।


भारत का राष्ट्रीय आय - ऐतिहासिक परिवेश

भारत में सबसे पहले 1868 ई0 में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था। उन्होंने अपनी पुस्तक 'Poverty and Un-British Rule in India' में प्रति व्यक्ति आय 20 रूपये बताया।

राष्ट्रीय आय के आंकड़ों को एकत्र (इकट्ठा) करने के लिए सरकार ने 1951 में केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (Central Statistical organisation) की स्थापना की। इस कार्य में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (National Sample Survey organisation) सहायता करता है।

प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)

राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर लोगों को उपभोग वस्तुएँ और सेवाएँ अधिक मात्रा में उपलब्ध होती हैं। केवल आय में होने वाली वृद्धि किसी देश की आर्थिक स्थिति को नहीं व्यक्त करती हैं। यदि राष्ट्रीय आय बढ़ने के साथ जनसंख्या में भी वृद्धि हो जाए तो जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं होता।

किसी देश का राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल होता है, वह उस देश का प्रति व्यक्ति आय होता है। प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहते हैं।

प्रति व्यक्ति आय (औसत आय) = राष्ट्रीय आय / कुल जनसंख्या

राष्ट्रीय आय की धारणा (concept of National Income) :

राष्ट्रीय आय की धारणा को निम्नलिखित आयामों के द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।

1.सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product)

2. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product)

3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product)

1. सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product)

एक देश की सीमा के अन्दर, एक वर्ष में, उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।

[अन्तिम वस्तुएँ एवं सेवाएँ - वे सभी वस्तुएँ एवं सेवाएँ जो उपभोग या निवेश के लिए खरीदी जाती है। इसमें परिवारों द्वारा की गई खरीद (भोजन, वस्त आदि) और पूंजीगत वस्तुएँ (मशीन फर्नीचर एवं परिवहन के लिए गाड़ियाँ इत्यादि) शामिल हैं।]

2. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) 

किसी देश के लोगों द्वारा (चाहे वे अपने देश में हो या विदेश में) एक वर्ष के अन्तर्गत जितनी वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं।

सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलु उत्पाद + (देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय - विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय)।

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product) :

सकल राष्ट्रीय उत्पाद एक निश्चित अवधि में देश के 'सम्पूर्ण उत्पादन' का मौद्रिक मूल्य है। इसके उत्पादन में मशीन, औजार, कारखाने का भवन इत्यादि का एक अंश नष्ट हो जाता है और उनकी समय-समय पर मरम्मत करानी पडती है या बदलना पड़ता है। इसे घिसावट एवं प्रतिस्थापन व्यय (Depreciation and replacement cost) कहते हैं।

अतः सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट एवं प्रतिस्थापन व्यय को घटा देने से जो शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं।

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद घिसावट एवं प्रतिस्थापन व्यय

राष्ट्रीय आय की गणना तथा माप (Measurement of National Income) :

राष्ट्रीय आय की गणना तीन प्रकार से की जाती है, जो निम्नलिखित हैं -

1. उत्पादन गणना विधि (census of Production Method)

2. आय गणना विधि (Census of Income Method)

3. व्यय गणना विधि (census of Exdpenditure Method)

1. उत्पादन गणना विधि

उत्पादन गणना विधि के अन्तर्गत देश की अर्थव्यवस्था को कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन इत्यादि क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। इन सभी क्षेत्रों द्वारा एक वर्ष के अन्तर्गत उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य तथा निर्यात (विदेशों को भेजने वाली वस्तु) एवं आयात (विदेशों से आने वाली वस्तु) के अन्तर को जोड़ दिया जाता है।

2.आय गणना विधि

व्यक्तियों को आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है तो उस विधि को आय गणना विधि कहते हैं।

3. व्यय गणना विधि

व्यक्ति अपनी आय को वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय (खर्च) करता है इसलिए राष्ट्रीय आय की गणना लोगों के व्यय को जोड़कर किया जाता है।

राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ (Difficulties in Measurement of National Income):

1. आंकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई

पूरे देश में लोगों की आय को उत्पादन के रूप में या उनकी आय के रूप में आँकते हैं। इन्हें एकत्र करना मुश्किल है।

यदि सही आँकड़े उपलब्ध नहीं हों तो राष्ट्रीय आय की गणना सही नहीं हो सकती।

2. दोहरी गणना की सम्भावना

राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कई बार एक ही आय को दुबारा गिन लिया जाता है। उदाहरण के लिए एक डॉक्टर को मासिक आय 20,000 रूपये है, जिसमें से वह 5,000 रूपये कम्पाउन्डर को देता है। यहाँ कम्पाउन्डर की आय की पृथक रूप से गणना नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसकी गणना डॉक्टर की आय में हो चुकी है।

3. मौद्रिक विनिमय प्रणाली का अभाव

देश में उत्पादित बहुत सी वस्तुओं का मुद्रा के द्वारा विनिमय (लेन-देन) नहीं होता है। कछ वस्तुओं का उत्पादक स्वयं उपभोग कर लेते हैं या उनका अन्य वस्तुओं से लेन-देन किया जाता है। राष्ट्रीय आय को मापने में ऐसी वस्तुओं का मूल्यांकन करने में कठिनाई आती है।

4. मूल्य को मापने में कठिनाई

कोई भी वस्तु पहले कारखाने से थोक विक्रेता और इसके बाद खुदरा विक्रेता के पास आता है। प्रत्येक चरण में वस्तु के मूल्य में वृद्धि होती है। अतः इसको मापने में कठिनाई होती है।

विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का योगदान (contribution of National and per Capita Income in Development)

आर्थिक विकास का राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय से गहरा सम्बन्ध है।विकास का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि द्वारा देश के लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा उठाना है।

 राष्ट्रीय आय वास्तव में देश के अन्दर पूरे वर्ष में हुए उत्पादन को कहते हैं। जैसे-जैसे लोगों को रोजगार मिलेगा, वैसे-वैसे उत्पादन में वृद्धि होगी, श्रमिकों का वेतन बढ़ेगा, उनकी आय बढ़ेगी तथा उनक जीवन-स्तर पहले की अपेक्षा बेहतर होगा। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से व्यक्तियों का विकास होगा।

बिहार की आय (Income of Bihar)

किसी भी देश या राज्य की आय का मुख्य स्रोत उसकी उत्पादक क्रियाएँ होती हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादन में वृद्धि होने से राज्य की आय में वृद्धि होती है। विगत वर्षों के अन्तर्गत बिहार में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि हुई है। द्वितियक अथवा औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। राज्य की आय में इस क्षेत्र का योगदान काफी कम है।

वर्तमान में बिहार के सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र का योगदान अधिक बिहार राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश भर में न्यूनतम (सबसे कम) हैं।

बिहार के कुल 38 जिलों में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय पटना एवं न्यूनतम (सबसे कम)

प्रति व्यक्ति आय शिवहर जिले का है।

समाप्त


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PATNA, BIHAR