
वैश्वीकरण
Globalization
वैश्वीकरण क्या है
वैश्वीकरण का अभिप्राय विश्व के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरे के साथ जोड़ने से है इसके अंतर्गत विश्व के सभी अर्थव्यवस्था एक अर्थव्यवस्था या एक बाजार का रुप ले लेती है
वैश्वीकरण का अर्थ हमारी अर्थव्यवस्था और विश्व् अर्थव्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना इस प्रक्रिया में हम आर्थिक रुप से वैश्विक अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पारस्परिक रूप से निर्भर होते हैं ऐसा कई स्तरों पर होता है अनेक विदेशी उत्पादक अपना माल और सेवाएं भारत में भेज सकते हैं हम भी अपना निर्मित माल और सेवाएं दूसरे देशों को भेज सकते हैं वैश्वीकरण उस व्यक्तियों के लिए भी सहायक होता है जिनके पास भारत में उद्योग लगाने के लिए धन उपलब्ध है इस प्रकार का उत्पादन देश में बिक्री के लिए अथवा निर्यात के लिए हो सकता है इसी प्रकार भारत के उद्यमी भी दूसरे देशों में जाकर के पूंजी निवेश कर सकते हैं वैश्वीकरण में केवल पूंजी ही नहीं वरन एक देश से दूसरे देश में श्रमिकों का आदान-प्रदान भी सम्मिलित है
Globalisation means free moment of capital goods Technology Idea and people . Any globalisation that means last one is partial and non sustainable.
दूसरे शब्द में हम कह सकते हैं वैश्वीकरण निजीकरण तथा उदारीकरण की नीतियों का परिणाम है
निजीकरण (private station) का अभिप्राय निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रुप से या आंशिक रूप से शामिल प्राप्त करना तथा उसका प्रबंधन करना है। आर्थिक सुधारों के अंतर्गत भारत सरकार ने सन 1991 से निजी करण की नीति अपनाई।
उदारीकरण (liberalisation)
उदारीकरण का अर्थ सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रण तथा प्रतिबंधों जैसे लाइसेंस कोटा आदि को हटाना है आर्थिक सुधारों के अंतर्गत सन 1991 से भारत सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनाई।
वैश्वीकरण के इतिहास का संक्षिप्त परिचय
वैश्वीकरण की धारणा एक नई धारणा नहीं मध्यकालीन युग में भी विश्व के अनेक देश के पार के मध्य से परस्पर जुड़े हुए थे और उनकी भी वस्तु एवं विचारों एवं कौशल का आदान प्रदान होता रहा है परंतु इस काल में परिवहन तथा संचार के साधन बहुत विकसित नहीं थे इसके फलस्वरुप विश्व व्यापार कुछ विशेष देशों और वस्तुओं तक ही सीमित था वास्तव में वैश्वीकरण की प्रक्रिया आधुनिक युग की देन है जो आधुनिक क्रांति के पश्चात हुई है शताब्दी शताब्दी के प्रारंभ में इंग्लैंड के औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की संज्ञा दी जाती है
1769 हमारा जेम्स वाट के द्वारा भाप इंजन का आविष्कार एक ऐतिहासिक घटना में मानी जाती है जिसने आधुनिक कारखाना प्रणाली को जन्म दिया । इसके पूर्व वस्तुओं का उत्पादन मुख्य रुप से स्थानीय घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कारीगऱ के घरों में होता था लेकिन अब कारखानों में आधुनिक मशीनों द्वारा बृहत पैमाने पर उत्पादन होने लगा इंग्लैंड के औद्योगिक क्षेत्र में होने वाले यह परिवर्तन कुछ ही समय में यूरोप के अन्य देशों में भी फैल गए और उनके उत्पादन एवं व्यापार का क्रम विस्तार हो रहा था रेलवे और वास्तु चलित जहाजों ने उनके द्वारा उत्पादित भारी और नाशवान वस्तुओं को भी एशिया अफ्रीका और अमेरिका के सुदूर स्थान में भेजना प्रारंभ कर दिया था । टेलीग्राफ और टेलीफोन के प्रयोग से व्यापारियों के लिए संदेश भेजना और एक दूसरे से संपर्क स्थापित करना सरल हो गया इस प्रकार वैश्वीकरण को तीव्र बनाने वाले कारकों में आधुनिक मशीन द्वारा बृहद पैमाने पर उत्पादन तथा परिवहन और संचार के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार की नीति इंग्लैंड का भी समर्थन मिला जो उन्नीसवीं शताब्दी विश्व का सबसे प्रभावशाली राष्ट्र था
परंतु 1945 में विश्व को भयंकर युद्ध का सामना करना पड़ा इन में विभिन्न देशों की उत्पादन एवं आर्थिक क्षेत्र अत्यंत संकुचित हो गया था। युद्ध के पश्चात विश्व व्यापार को स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस संघ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाओं के स्थापना की जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहायक सिद्ध हुए हैं।
वैश्वीकरण के मुख्य अंग क्या है ?
अथवा वैश्वीकरण की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें
मुक्त व्यापार वैश्वीकरण का आधार है। मुक्त व्यापार का अभिप्राय विदेश अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्वतंत्रता से है, जब विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं होता तब इसे मुक्त व्यापार या स्वतंत्र व्यापार की नीति कहते हैं ।आर्थिक सुधारों के क्रम में भारत ने भी वैश्वीकरण यार मुक्त व्यापार नीति अपनाई है या आशा की जाती है कि यदि या नीति देश के विकास दर को अति तीव्र बनाने में सहायक होगी वैश्वीकरण के मुख्य अंग या इसकी विशेषताएं निम्नलिखित है
A. व्यवसाय और व्यापार संबंधी अवरोधों की कमी(laser the of Business
and trade)
B. पूंजी तथा निर्बंध प्रभाव (free flow of
capital)
C. प्रौद्योगिकी का निर्माण पर प्रभाव( free flow of
Technology)
D. श्रम का मुक्त प्रवाह (free flow of labour)
E. पूंजी का पूर्ण परिवर्तनशीलता (free convertibility of
capital)
वैश्वीकरण के लाभ
कुशलता में सुधार. मुक्त व्यापार वैश्वीकरण का आधार है इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक देश के अपने उपलब्ध साधनों के अनुसार वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में विशिष्टीकरण प्राप्त करता है इससे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होती है तथा कम लागत में ही अधिकतम उत्तम कोटि की प्रमाणिक वस्तु का उत्पादन होता है
साधनों की आय में समानता वैश्वीकरण के फलस्वरुप एक दूसरे के साथ व्यापार करने वाले देशों के बीज उत्पादन के साधनों की आय में समानता आती है
वित्तीय साधनों में वृद्धि वैश्वीकरण से वित्तीय साधनों की पूर्ति में भी वृद्धि होती है एक विश्व अर्थव्यवस्था में बैंक एवम् अन्य वित्तीय संस्थाएं एक देश से दूसरे देश में पूंजी का स्थानांतरण करती है इससे भारत जैसे विकासशील देशों को अधिक लाभ होता है
श्रम की गतिशीलता में वृद्धि वैश्वीकरण से श्रम की गतिशीलता में वृद्धि होती है इससे फल स्वरुप केबल पूंजी का ही नहीं वरन एक देश से दूसरे देश में श्रमिकों का भी आदान-प्रदान होता है इससे विकसित और विकासशील देश दोनों को लाभ होता है
बहुराष्ट्रीय कंपनियां (multinational company)
बहुराष्ट्रीय कंपनियां वह है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामी पर रखती है जैसे Honda पेप्सी कोका कोला कोलगेट Nokia oppo samsung redme आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उदाहरण हैं इनका मुख्यालय किसी अन्य देश में है तथा यह भारत सहित अनेक देशों में उत्पादन एवं व्यापार करती है।
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनी की भूमिका
एक बहुराष्ट्रीय कंपनियां बहुराष्ट्रीय निगम हुआ है जिसका एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व तो होता है इनकी उत्पादक क्रियाएं किसी एक देश में सीमित ना होकर अनेक राष्ट्रों में फैली रहती है बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है अतः अन्य स्थानों में कार्यालय एवं उत्पादन संयंत्र स्थापित करती है जहां उन्हें सस्ते श्रम तथा अन्य संसाधन उपलब्ध होते हैं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे सामान्य तरीका अन्य देशों की स्थानीय कंपनियों को खरीदना है तथा इसके बाद उत्पादन का विस्तार करना है कई बार स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त रुप से उत्पादन करती है बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादक गतिविधियों से सुदूर देशों का उत्पादन एक दूसरे के साथ जुड़ता रहता है इससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया तीव्र होती है।
(ग्लोबल कनेक्शन ऑफ प्रोडक्ट्स)
बहुराष्ट्रीय कंपनियां कई प्रकार से अपने उत्पादन कार्य का प्रसार करती है जैसे
स्थानीय कंपनी को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रचार करना। इसका उदाहरण है पार्ले समूह के thumbs up ब्रांड को coco cola जो बहुराष्ट्रीय कंपनी है ने खरीद लिया।
कभी कभी बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन देशों की स्थानी कंपनियों के साथ संयुक्त रुप से उत्पादन करती है। इससे स्थानीय कंपनियों को एक नई नवीन प्रौद्योगिकी मिलता है, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ अपने साथ लाती है दूसरा ज्यादा उत्पादन करने के लिए पूंजी मिलता है क्यो की राष्ट्रीय कंपनियों के पास काफी ज्यादा पूंजी होता है
बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां माल के उत्पादन के लिए छोटे उत्पादकों का सहारा लेती है जैसे वस्त्र जूते खेल के सामान खिलौने आदि का उत्पादन बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए किया जाता है दो राष्ट्रीय कंपनियों के उत्पाद के नाम से दुनिया भर में बेचती है
इस प्रकार हम देखते हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां संजू उपकरण के माध्यम से या कंपनियों के विलय से या विभिन्न देशों की ओर छोटे उत्पादकों से माल आपूर्ति ले करके अपना उत्पादन जाल फैलाते हैं इस तरह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा विश्व के दूर-दूर स्थानों पर फैला उत्पादन एक दूसरे से संबंधित हो रहा है एवं वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रहा है
विदेशी व्यापार एवं बाजारों का एकत्रीकरण(foreign trade and integration of market)
विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजार को जोड़ने या एकत्रीकरण का कार्य करते हैं वैश्वीकरण के फलस्वरुप विदेशी व्यापार का दायरा बढ़ा है। पूर्व से ही विदेश व्यापार विभिन्न निर्देशों को आपस में जोड़ने का मुख्य साधन रहा है । व्यापार करने के लिए ही ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई समानता दो देशों के बीच मुक्त व्यापार होने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आगमन होता है बाजार में वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं, तथा दो बाजार में एक ही वस्तु का मूल्य एक समान होने लगता है। अब से दूर देशों के उत्पादक एक दूसरे से हजारों मील दूर होकर भी आपस में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं इस प्रकार विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने आसपास के एकीकरण में सहायक होता है।
वैश्वीकरण को प्रभावित या संभव बनाने वाले कारक
1. प्रौद्योगिकी में प्रगति वैश्वीकरण और विभिन्न क्षेत्रों की एकीकरण को संभव बनाने वाले कारकों में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले प्रगति एक प्रमुख कारण है उदाहरण के लिए पिछले लगभग 50 वर्ष के परिवहन में बहुत सुधार हुए हैं इससे भारी और नाशवान वस्तुओ को भी सुदूर स्थानों पर भेजना संभव हो गया है। इस प्रकार वायु परिवहन की लागत में गिरावट आने से अब वायु मार्ग द्वारा अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में वस्तुओं को भेजा जा सकता है कंटेनर्स के प्रयोग से ढुलाई के खर्च में भारी बचत हुई है इस से माल को ट्रकों जहाज रेलवे एवं वाहनों पर बिना छती लाया जा सकता है ।
2. वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने वाले कारकों में परिवहन प्रौद्योगिकी से भी अधिक महत्वपूर्ण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (information and communication Technology, IT) का विकास है सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास में वैश्वीकरण की प्रक्रिया को काफी तेज किया है वर्तमान समय में दूरसंचार कंप्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी बहुत तेजी से विकसित हो रही है आज विश्व के सभी भागों के निवासी एक दूसरे से संपर्क करने सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरस्थ क्षेत्रों से संवाद के लिए दूर संचार सुविधाएं( टेलीग्राफ टेलीफोन मोबाइल फोन और फैक्स) का प्रयोग करते हैं संचार उपग्रहों ने इन सुविधाओं को बहुत सुगम बना दिया है।
विश्व व्यापार संगठन वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1995 में संयुक्त राज्य संघ के सदस्य द्वारा आपसी व्यापार को बढ़ाने के लिए की गई थी। इसका मुख्य कार्यालय जनेवा में है, इस संगठन ने भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की प्रतिक्रिया को प्रभावित किया है इसका उद्देश्य विश्व के देशों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को इस प्रकार संचालित करना है कि उन में समानता हो खुलापन हो और वह बिना किसी भेदभाव के हो। वर्तमान समय में विश्व व्यापार संगठन 2006 के 149 सदस्य हैं।
भारत में वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन इन इंडिया)
भारत सरकार की वर्तमान आर्थिक नीति का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण के लिए विश्व स्थर् पर प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता का विकास करना है। यह सरकार की पूर्व नीति से भिन्न है , विकास की वर्तमान स्थिति में भारत के उद्योग एवं व्यापार को नई प्रौद्योगिकी और ज्ञान की अति आवश्यकता है, इसके साथ ही जनसंख्या एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत एक बड़ा देश है जिसके कारण उत्पादन के सस्ते साधनों की उपलब्धता के कारण यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है विश्व बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के कारण दुनिया की निगाह सभी देश की जगह भारत पर है ऐसी स्थिति में देश के आधुनिक तकनीकी ज्ञान एवं पूंजी को आकर्षित करने के लिए तथा विश्व बाजार में मानव पूंजी और उत्पादित वस्तु को भेजने में वैश्वीकरण का महत्व बहुत बढ़ जाता है।
वैश्वीकरण के समर्थक भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रोत्साहन वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा जिससे भारत जैसे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूंजी प्राप्त कर सकेगा।
प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि वैश्वीकरण की नीति के भारत जैसे विकासशील देश की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का विकास संभव हो सकेगा
नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तैयार की गई। नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है
अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी अच्छी गुणवत्ता की वस्तुओं को सापेक्षता प्राप्त करने के योग बनाता है।
नई बाजार तक पहुंच वैश्वीकरण के फलस्वरुप भारत जैसे विकासशील देशों के लिए दुनिया के बाजारों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा
उत्पादन के स्तर को उन्नत करना वैश्वीकरण के द्वारा उन्नत मशीन तथा तकनीक के प्रयोग से उत्पादन के स्तर को उठाया जा सकता है।
बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार वैश्वीकरण के अन्य देशों के संपर्क में आने से बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र की कुशलता में सुधार होगा ।
मानव पूंजी की क्षमता का विकास कौशल विकास को बढ़ावा मिलता है, भारत जैसे विकासशील एवं विकसित देश को अपनी निर्यात की वस्तुओं में श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करते हैं इससे मजदूरी की दर तथा श्रमिकों की वृद्धि होती है।
वैश्वीकरण ऐतिहासिक परिवेश में 1991 से पूर्व आर्थिक विकास के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था की नीति को ही भारत ने अपनाया था इस नीति को अपनाने के लिए मुख्य कारण था कि कोयला खनन इस्पात शक्ति और सड़कें जैसी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उद्योग सरकार को अपने जिम में रखने चाहिए तथा इन बातों पर भी तर्क दिया गया की महत्वपूर्ण उद्योगों का प्रबंधन सरकार के अपने हाथों में रहने से अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए आवश्यक संसाधन मिल सकेंगे।
निजी क्षेत्र को उद्योगों और व्यापार में कार्य करने की अनुमति दी गई परंतु कानून के अंतर्गत नियम और प्रतिबंधों को स्वीकार करते हुए यह इसलिए भी आवश्यक समझा गया ताकि संसाधन और धन-संपत्ति केवल कुछ हाथों में ही केंद्रित होकर महाराजा सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार ने अपनी आय का काफी बड़ा भाग निवेश में लगाया और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग उद्यम प्रारंभ में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 सरकारी पंचवर्षीय योजना 1997- 2002 में ₹3४200 करोड़ों का हो गया । इस कार्य नीति का उद्देश्य गरीबी का उन्मूलन और सामाजिक न्याय के आधार पर आर्थिक विकास को प्राप्त करना था। संसाधनों के नियंत्रण प्राप्त होने से एक ऐसी स्थिति आ गई जब भारत का सर्वाधिक क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र बहुत बड़ा हो गया, सरकार के आय का एक बड़ा भाग अन्य विकास के कार्यों की ओर ना जाकर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की धन की पूर्ति में लगने लगा।
भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं
1991 के आर्थिक सुधारों के अंतर्गत वे सभी तरीके शामिल हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए 1991 में अपनाए गए इन सुधारों का मुख्य बल अर्थव्यवस्था की उत्पादकता और कुशलता में वृद्धि के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का निर्माण करने पर था । हमारे देश में आर्थिक सुधारों का प्रारंभिक विदेशी व्यापार की प्रतिकूलता और विभिन्न कारणों से देश की उत्पन्न विदेशी विनिमय की गंभीर संकट की पृष्ठभूमि पर हुआ था आर्थिक सुधार की नीतियों में व्यापार और सुधारों को विशेष महत्व दिया गया। सरकार ने जुलाई 1991 से व्यापार क्षेत्र में ऐसी कई सुधार किए हैं जो हमारे देश को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने में सहायक हुए हैं।
बिहार में वैश्वीकरण का प्रभाव
वैश्वीकरण के वर्तमान युग में उपयोग एवं उत्पादन के क्षेत्र में पूरी दुनिया एक देश हो गया है । और इस कारण वैश्वीकरण का सुखद परिणाम बिहार राज्य में भी दिखाई पड़ने लगे हैं, प्रगति की वर्तमान स्थिति में और अधिक मजबूती लाना आवश्यक है तभी हमें वैश्वीकरण का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
वैश्वीकरण का बिहार के जन जीवन पर ना केवल सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं बल्कि इनके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं जो हमने लिखित रूप से व्यक्त करते हैं या कर सकते हैं
कृषि उत्पादन में वृद्धि
निर्यातों में वृद्धि
विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग की प्राप्ति
शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पादन में वृद्धि
विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता
रोजगार के अवसरों में वृद्धि
बहुराष्ट्रीय बैंक एवं बीमा कंपनियों का आगमन
बिहार के आर्थिक जीवन पर वैश्वीकरण का जो नकारात्मक प्रभाव पड़ा है हम मुख्य रूप से निन्नलिखित प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं
कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा
कुटीर एवं लघु उद्योग पर विपरीत प्रभाव
रोजगार पर विपरीत प्रभाव
आधारभूत संरचना के क्रम विकास के कारण कम निवेश
आर्थिक सुधारों का अर्थ meaning of economic reforms
भारत में आर्थिक सुधारों का मतलब उन नीतियों से है जिसका प्रारंभ 1991 में अर्थव्यवस्था में कुशलता उत्पादकता लाभदायकता एवं प्रतियोगिता के शक्ति के स्तर में वृद्धि करने के दृष्टिकोण से किया गया है
यह स्तर आर्थिक उदारीकरण (liberalisation ) निजीकरण (privatization) वैश्वीकरण (globalisation) की नीतियों पर आधारित है अतः इसे हम LPG नीति भी कहते हैं यहां ध्यान देने की बात यह है कि आर्थिक सुधारों को नई आर्थिक नीति के नाम (new economic policy ) से भी पुकारते हैं
आर्थिक सुधारों एवं नई नीति आर्थिक सुधारों की निम्नलिखित उद्देश्य हैं
- उत्पादन इकाइयों की कुशलता एवं उत्पादकता स्तर पर सुधार लाना
- उत्पादन इकाइयों के प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाना
- भूतकाल की तुलना में विदेशी विनियोग एवं तकनीक अधिक से अधिक उपयोग करना
- आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना आर्थिक विकास के लिए सर्वव्यापी संसाधन का प्रयोग करना
- वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाना तथा इसे आधुनिक बनाना की अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा कर सके
- सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य संपादन में सुधार लाना तथा इसके क्षेत्र को अधिक युक्तिसंगत बनाना आर्थिक सुधारों की विशेषताएं।
आर्थिक सुधार या नई आर्थिक नीति का मुख्य विशेषताएं
वैश्वीकरण से आदमी का जीवन किस प्रकार प्रभावित हुआ है।
आम आदमी की श्रेणी में निम्न मध्यम एवं निर्धन वर्ग के व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो आराम एवं विलासिता की अधिकांश वस्तुओं के उपयोग से वंचित होते हैं इनकी इतनी कम होती है कि यह अपनी अनिवार्य आवश्यकताएं को ही कठिनाई से पूरा कर पाते हैं हमारे देश के इस प्रकार के व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक है तथा यह प्रश्न अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि इनका जीवन यापन वैश्वीकरण से किस प्रकार प्रभावित हुआ है ।
भारत सरकार के वैश्वीकरण की नीति लगभग दो दशक पहले बनाई गई इसके फलस्वरुप देश के अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन हुआ है विदेशी निवेश बढ़ा है तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि हुई है लेकिन इस से समाज की किसी वर्ग के लोग समान रुप से लाभान्वित नहीं हुए हैं प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए भारत की बड़ी कंपनियों में ने भी अपनी उत्पादन प्रणाली में सुधार तथा मानक को ऊंचा उठाने का प्रयास किया है अब भारतीय बाजारों में मोटर गाड़ी दुपहिया वाहनो इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आदि जैसे उपभोक्ता पदार्थों की पूर्ति बहुत बढ़ गई है आज उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प मौजूद है तथा अधिक उत्कृष्टता वाले उत्पादन को कम मूल्य पर खरीद लेते हैं लेकिन उत्पादों के अधिकांश क्रेता एवम संपन्न वर्ग के लोग हैं इससे आम आदमी का सामान्य उपभोक्ता को विशेष लाभ नहीं हुआ है
वैश्वीकरण से भारत के सभी उपभोक्ता तथा बड़े उत्पादक लाभांवित हुए हैं लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा के मध्यम तथा छोटे उत्पादकों को प्रतिकूल ढंग से प्रभावित किया है खिलौना बैटरी उत्पाद एवं खाद्य तेल के उदाहरण आपदा के कारण उत्पादों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है इसके फलस्वरुप एक लघु इकाइयां बंद हो गई हैं और इस में कार्यरत बेरोजगार हो गए हैं ऐसे अनुमान है कि पिछले कुछ वर्षों से लगभग 5 गोलियां बंद हो चुके हैं जिससे 2500000 से भी अधिक बेरोजगार हो गए हैं भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु उद्योगों की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा कृषि के क्षेत्र देश के सबसे अधिक श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है
वैश्वीकरण से श्रमिकों के जीवन यापन से प्रभावित हुआ है कुशल श्रमिकों की आय में वृद्धि हुई है लेकिन अकुशल श्रमिकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है प्रथा के कारण अधिकांश नियोजक रोजगार की शर्तों को लचीला बनाने के लिए प्रयासरत है इसका अभिप्राय है कि अपनी आवश्यकता अनुसार श्रमिकों को नियुक्ति करने लगे हैं इसका एक उदाहरण परिधान उद्योग है जिस के फलस्वरुप उद्योग के अनेक श्रमिक बेरोजगार हुए हैं और अस्थाई श्रमिकों के रूप में कार्य करने के लिए विवश हैं।
मूल रूप से आम आदमी पर वैश्वीकरण का निम्नलिखित अच्छा प्रभाव पड़ा है
- उपयोग के आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता
- रोजगार की बढ़ती हुई संभावना
- अधिकतम तकनीक का उपलब्धता
नाकारात्मक प्रभाव
- सामान्य कम कुशल लोगों में बेरोजगारी बढ़ने की आशंका
- उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतियोगिता
- श्रम संगठनों पर बुरा प्रभाव मध्यम एवं छोटे उत्पादकों की घटनाएं कृषि एवं ग्रामीण बैंक ग्रामीण क्षेत्र का संकट।
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